शोध में नैतिकता सबसे अहम पहलू : प्रो. रिजवी
मानवविज्ञान विभाग


- ज्ञान की पराकाष्ठा वहीं है जहां अर्जुन और एकलव्य दोनों साथ खड़े नजर आएं और द्रोणाचार्य न हों : प्रो. अनामिका राय

प्रयागराज, 22 जुलाई (हि.स.)। इलाहाबाद विश्वविद्यालय के मानव विज्ञान विभाग में मंगलवार को प्री-पी.एच.डी कोर्स वर्क प्रारम्भ हुआ। मुख्य अतिथि प्रो. एस.आई रिजवी, अधिष्ठाता शोध एवं विकास तथा अधिष्ठाता, विज्ञान संकाय ने कहा कि शोध में नैतिकता (एथिक्स) सबसे अहम पहलू है।

उन्होंने अपने सम्बोधन में शोध की आधारभूत प्रक्रिया में अध्ययन पद्धति, शोध में नैतिकता की प्रासंगिकता, प्लैजियरिज्म, कंप्यूटर सॉफ्टवेयर के उपयोग, ए.आई. की उपयोगिता, ’वन नेशन वन सब्सक्रिप्शन’ पर चर्चा करने के साथ मानव में विगत लाखों वर्षों में आये परिवर्तनों को भी शोध की दृष्टि से रेखांकित किया। उन्होंने शोध के परिप्रेक्ष्य में वैश्विक टाइम स्केल के सन्दर्भ में कोर्स वर्क में अलग से व्याख्यान की आवश्यकता पर जोर दिया।

प्रोफेसर रिजवी ने कहा कि लाखों वर्ष पहले जब अफ्रीका के जंगलों में बंदरों की जनसंख्या में विस्फोट हुआ तब प्राकृतिक परिवर्तनों के कारण छोटे वृक्षों और घास के मैदानों का जन्म हुआ और चार पैरों से चलने वाला प्राणी दो पैरों पर चलने लगा। हाथ स्वतंत्र होने पर भाषा सम्प्रेषण, अंगूठे की अभिमुखचारिता, रीढ़ की हड्डी का सीधा होना, वसा युक्त भोज्य पदार्थ से मस्तिष्क को वसा का प्राप्त होना जिससे चिंतन का बोध (भूत, वर्तमान, भविष्य) इत्यादि सभी कारकों ने मानव संस्कृति को जन्म दिया। उन्होंने इन सभी तथ्यों को मानवशास्त्रीय संदर्भों से जोड़ कर प्रस्तुत किया।

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहीं इतिहास की प्रख्यात विद्वान प्रोफेसर अनामिका राय ने कहा कि इतिहास विभिन्न काल खण्डों के प्रश्न प्रस्तुत करता है और मानव विज्ञान उनका उत्तर। उन्होंने कोर्स वर्क के वैश्विक स्वरूप को प्रस्तुत करते हुए अमेरिकन विश्वविद्यालयों (हार्वर्ड, कैंब्रिज, येल) में उसकी प्रकृति पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि अमेरिका के विश्वविद्यालयों में ये 2 वर्ष का होता है जिसके अंतर्गत गुणात्मक एवं मात्रात्मक शोध, साहित्य समीक्षा, अध्ययन पद्धति शास्त्र, शोध प्रस्ताव केंद्रित होकर गहन अध्ययन होते हैं।

उन्होंने शोध कार्य के दौरान मौलिक लेखन पर भी जोर दिया। साथ ही मानव विज्ञान के विद्यार्थियों के लिए जॉब की स्थिति को स्पष्ट करते हुए अकादमिक और गैर-अकादमिक क्षेत्रों पर उपलब्ध रोजगार अवसरों पर भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि शोध, ज्ञान की यात्रा का वह चरण है, जहां हम न केवल नवीन तथ्यों की खोज करते हैं बल्कि समाज के गूढ़तम पहलुओं को भी उजागर करते हैं। अंत में कहा कि “ज्ञान की पराकाष्ठा वही है जहां अर्जुन और एकलव्य दोनों साथ खड़े नजर आएं और द्रोणाचार्य न हों“।

इसके पूर्व विभागाध्यक्ष प्रोफेसर राहुल पटेल, डॉ. शैलेन्द्र मिश्र एवं डॉ. खिरोद चंद्र मोहराना ने अतिथियों का स्वागत किया। उन्होंने प्री-पी.एच.डी कोर्स वर्क का उद्देश्य बताया, जहां उन्होंने शोधार्थियों को अनुसंधान की वैज्ञानिक पद्धति, नैतिकता, सैद्धांतिक आधार और मानवविज्ञान के समकालीन विमर्शों से परिचित कराया। कार्यक्रम का संचालन विभाग के पोस्ट डॉक्टोरल फेलो डॉक्टर संजय कुमार द्विवेदी एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉ. खिरोद चंद मोहराना ने किया।

---------------

हिन्दुस्थान समाचार / विद्याकांत मिश्र