फील्ड स्टाफ को तहसील एसएसडीएम कार्यालयों में लगाए जाने से भड़के पटवारी कानूनगो
ज्ञापन सौंपते हुए पटवारी कानूनगो महासंघ के प्रधान एवं पदाधिकारी


मंडी, 22 जुलाई (हि.स.)। पटवारियों व कानूनगो के साथ तैनात फील्ड स्टाफ को तहसीलों व उपमंडलाधिकारियों के कार्यालयों में लगाए जाने पर पटवारी व कानूनगो बुरी तरह से भड़क गए हैं। मंगलवार को हिमाचल प्रदेश संयुक्त पटवारी एवं कानूनगो महासंघ के जिला प्रधान बिशंभर ठाकुर की अध्यक्षता में अतिरिक्त जिला दंडाधिकारी डॉ मदन कुमार के माध्यम से एक ज्ञापन निदेशक भूू अभिलेख व उपायुक्त मंडी सौंपा गया।

इस बारे में जानकारी देते हुए महासचिव होशियार सिंह ने बताया कि महासंघ ने जिला मंडी की लगभग सभी तहसीलों उपतहसीलों में कार्यरत कानूनगो, पटवारी और दैनिक वेतन भोगियों को कार्यालय के काम के अलावा भी अतिरिक्त व पूर्ण काम सौंप रखे हैं, अधिकतर फील्ड के कर्मचारियों से लिपिक वर्ग का कार्य लिया जा रहा है, जिस कारण फील्ड कार्य सही प्रकार से करने में मुश्किल का सामना करना पड़ रहा है। बरसात के मौसम में होने वाले नुकसान में राहत से लेकर आकलन तक के लिए पटवारी का कार्य बढ़ जाता है और उसे हर स्तर पर सहयोगी की जरूरत पड़ती है। इस सब होने के बावजूद भी अधिकांश पटवारी सहयोगियों को कार्यालयों में बुलाकर उनसे लिपिक का कार्य लिया जा रहा है। इससे स्थिति विकट हो गई है। महासंघ ने इसका कड़ा नोटिस लिया है तथा फील्ड से लगातार जिला महासंघ को सूचनाएं व लिखित तौर पर इन परेशानियों से अवगत करवाया जा रहा है।

महासंघ ने स्पष्ट किया है कि लिपिक का काम लिपिक वर्ग से ही लिया जाना चाहिए, इसके लिए फील्ड में काम कर रहे पटवारी सहयोगियों से काम करवाना किसी भी सूरत में न्यायोचित नहीं है। आपदा के समय जब किसी लिपिक की तैनाती फील्ड में नहीं की जाती है तो फिर फील्ड कर्मचारी को क्यों कार्यालयों में लगाया जा रहा है। मांग उठाई है कि पटवारी सहयोगियों को फील्ड में ही भेजा जाए तथा कार्यालयों में काम लिपिक वर्ग से ही लिया जाए। यदि कहीं लिपिक की कमी है तो इसका अतिरिक्त कार्यभार भी लिपिक को ही दिया जाए न कि इसके लिए फील्ड में तैनात कर्मचारियों को लगाया जाए। मांग उठाई गई है कि इसे लेकर जल्द से जल्द कोई न्यायसंगत निर्णय लिया जाए अन्यथा महासंघ इसका विरोध करने पर मजबूर होगा। उसके बाद जो भी परिस्थितियां बनेंगी उसके लिए महासंघ जिम्मेवार नहीं होगा।

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हिन्दुस्थान समाचार / मुरारी शर्मा