अदालत ने इंजीनियर राशिद को संसद सत्र में भाग लेने की अनुमति दी
पटियाला हाउस कोर्ट


नई दिल्ली, 22 जुलाई (हि.स.)। दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट ने टेरर फंडिंग मामले के आरोपित और सांसद इंजीनियर रशीद काे संसद के आगामी सत्र में हिस्सा लेने के लिए कस्टडी पेरोल पर रिहा करने की इजाजत दे दी है। एडिशनल सेशंस जज चंदर जीत सिंह ने रशीद को 24 जुलाई से 4 अगस्त तक संसद सत्र में हिस्सा लेने की अनुमति दी है।

कोर्ट ने 15 जुलाई को फैसला सुरक्षित रख लिया था। इंजीनियर रशीद ने 21 जुलाई से शुरु होने वाले संसद के मानसून सत्र में हिस्सा लेने के लिए कस्टडी पेरोल की मांग की थी। इंजीनियर रशीद की ओर से पेश वकील ने कहा कि इंजीनियर रशीद बारामूला से सांसद हैं और बारामूला की आबादी जम्मू-कश्मीर की कुल आबादी का 45 फीसदी है। उन्होंने कहा था कि इतनी बड़ी आबादी का प्रतिनिधित्व खाली नहीं रखा जा सकता है।

रशीद फिलहाल न्यायिक हिरासत में हैं। इसके पहले दिल्ली हाई कोर्ट ने इंजीनियर रशीद को 26 मार्च से 4 अप्रैल तक संसद सत्र में हिस्सा लेने की अनुमति दी थी।

इंजीनियर रशीद ने साल 2024 के लोकसभा चुनाव में उमर अब्दुल्ला को करीब एक लाख मतों से हराकर जीत हासिल की थी।

राशिद इंजीनियर को 2016 में एनआईए ने गिरफ्तार किया था। पटियाला हाउस कोर्ट ने 16 मार्च 2022 को इंजीनियर रशीद के अलावा हाफिज सईद, सैयद सलाहुद्दीन, यासिन मलिक, शब्बीर शाह और मसरत आलम, जहूर अहमद वताली, बिट्टा कराटे, आफताब अहमद शाह, अवतार अहम शाह, नईम खान, बशीर अहमद बट्ट ऊर्फ पीर सैफुल्ला समेत दूसरे आरोपितों के खिलाफ आरोप तय करने का आदेश दिया था।

एनआईए के मुताबिक पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के सहयोग से लश्कर-ए-तैयबा, हिजबुल मुजाहिद्दीन, जेकेएलएफ, जैश-ए-मोहम्मद जैसे संगठनों ने जम्मू-कश्मीर में आम नागरिकों और सुरक्षा बलों पर हमले और हिंसा को अंजाम दिया। 1993 में अलगाववादी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए ऑल पार्टी हुर्रियत कांफ्रेंस की स्थापना की गई।

एनआईए के मुताबिक हाफिज सईद ने हुर्रियत कांफ्रेंस के नेताओं के साथ मिलकर हवाला और दूसरे चैनलों के जरिये आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए धन का लेन-देन किया। इस धन का इस्तेमाल वे घाटी में अशांति फैलाने, सुरक्षा बलों पर हमला करने, स्कूलों को जलाने और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के लिए किया। गृह मंत्रालय को इसकी सूचना मिलने के बाद एनआईए ने भारतीय दंड संहिता की धारा 120बी, 121, 121ए और यूएपीए की धारा 13, 16, 17, 18, 20, 38, 39 और 40 के तहत केस दर्ज किया था।

हिन्दुस्थान समाचार/संजय

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हिन्दुस्थान समाचार / अमरेश द्विवेदी