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मोदी 23 से 26 जुलाई तक रहेंगे ब्रिटेन, मालदीव की यात्रा पर
नई दिल्ली, 22 जुलाई (हि.स.)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की कल से शुरू हो रही ब्रिटेन यात्रा के दौरान दोनों के बीच मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) पर हस्ताक्षर होने की संभावना है।
श्री मोदी कल ब्रिटेन की यात्रा पर लंदन के लिए रवाना होंगे और वहां से सीधे मालदीव जाएंगे और 26 जुलाई को माले में मालदीव के 60वें स्वतंत्रता दिवस समारोह में शामिल होने के बाद स्वदेश लौटेंगे।
विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने आज यहां एक संवाददाता सम्मेलन में प्रधानमंत्री की दो देशों की यात्रा की जानकारी दी। श्री मिस्री ने संकेत दिये कि श्री मोदी की ब्रिटिश प्रधानमंत्री के साथ मुलाकात के दौरान भारत ब्रिटेन एफटीए की घोषणा हो सकती है। उन्होंने ये संकेत भी दिये कि श्री मोदी ब्रिटिश सरकार के साथ खालिस्तानी आतंकवादियों एवं ऊर्जा सुरक्षा के मुद्दे पर दो टूक शब्दों में भारत की चिंताओं को रखेंगे।
मिस्री ने कहा, ...प्रधानमंत्री कल, 23 जुलाई को ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीरस्टार्मर के साथ चर्चा के लिए ब्रिटेन की आधिकारिक यात्रा पर जाएंगे। वह किंग चार्ल्स तृतीय से भी मुलाकात करेंगे। भारत और ब्रिटेन, दोनों देशों के व्यापारिक नेताओं के साथ बातचीत की भी योजना है। पदभार ग्रहण करने के बाद से यह प्रधानमंत्री की ब्रिटेन की चौथी यात्रा होगी।
प्रधानमंत्री मोदी की मालदीव यात्रा पर विदेश सचिव ने कहा, प्रधानमंत्री की मालदीव यात्रा 25 और 26 जुलाई को होगी। वह मालदीव के राष्ट्रपति डॉ. मोहम्मद मुइज़्ज़ू के निमंत्रण पर राजकीय यात्रा पर जा रहे हैं। इस अवसर पर प्रधानमंत्री मालदीव की स्वतंत्रता की 60वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में आयोजित समारोह में मुख्य अतिथि होंगे। यह प्रधानमंत्री की मालदीव की तीसरी यात्रा होगी और नवंबर 2023 में पदभार ग्रहण करने के बाद से राष्ट्रपति मुइज़्ज़ू द्वारा आयोजित किसी शासनाध्यक्ष की पहली राजकीय यात्रा होगी।
प्रधानमंत्री की ब्रिटेन की यात्रा के विवरण को साझा करते हुए विदेश सचिव ने कहा, जैसा कि आप जानते हैं, भारत-ब्रिटेन साझीदारी को 2021 में एक व्यापक रणनीतिक साझीदारी में उन्नत किया गया था और तब से, नियमित रूप से उच्च स्तरीय राजनीतिक आदान-प्रदान हुए हैं और दोनों पक्ष इस साझीदारी को और भी ऊँचे स्तर पर ले जाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
उन्होंने कहा कि विदेश मंत्री और उनके समकक्ष, ब्रिटिश विदेश सचिव के स्तर पर नियमित बैठकें होती रहती हैं और रणनीतिक मुद्दों, वित्तीय, आर्थिक, ऊर्जा-संबंधी मुद्दों के साथ-साथ विज्ञान और प्रौद्योगिकी से निपटने के लिए मंत्री स्तर पर कई अन्य संस्थागत तंत्र भी हैं। 2023-24 में हमारा द्विपक्षीय व्यापार 55 अरब डॉलर को पार कर गया। ब्रिटेन भारत में छठा सबसे बड़ा निवेशक भी है, जिसका निवेश 36 अरब डॉलर है और दिलचस्प बात यह है कि भारत स्वयं ब्रिटेन में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का एक बड़ा स्रोत है, जिसका सकल निवेश लगभग 20 अरब डॉलर है। रक्षा क्षेत्र में हम सशस्त्र बलों की सभी तीन शाखाओं के बीच नियमित बातचीत और अभ्यास देख रहे हैं।
ब्रिटेन-भारत मुक्त व्यापार समझौते के बारे में पूछे जाने पर मिस्री ने कहा, छह मई को प्रधानमंत्री मोदी और ब्रिटेन के प्रधानमंत्री के बीच बातचीत हुई थी, जिसमें घोषणा की गई थी कि दोनों पक्षों ने मुक्त व्यापार समझौते और अन्य मुद्दों पर बातचीत पूरी कर ली है। तब से, दोनों पक्ष एक-दूसरे के बहुत निकट संपर्क में हैं। हम आपको उचित समय पर इससे संबंधित अंतिम विवरण से अवगत कराएंगे।
भारत में आर्थिक अपराधों में वांछित भगोड़ों के बारे में पूछे जाने पर विदेश सचिवने कहा, ब्रिटेन में भारतीय कानून और न्याय से भगोड़ों से संबंधित कुछ मुद्दे हैं। ये दोनों पक्षों के बीच चर्चा का विषय रहे हैं और हम ब्रिटिश सरकार द्वारा इन भगोड़ों को भारत में सौंपे जाने के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं। ज़ाहिर है, दूसरे देश में ऐसे अनुरोधों और ऐसे मुद्दों के लिए एक कानूनी प्रक्रिया होती है और हम इन मामलों पर ब्रिटेन में अपने सहयोगियों के साथ लगातार संपर्क बनाए हुए हैं।
ब्रिटेन में खालिस्तानी उग्रवाद पर मिस्री ने कहा, खालिस्तानी उग्रवादियों और उनके करीबी लोगों की मौजूदगी का मुद्दा एक बार फिर हमने ब्रिटेन में अपने सहयोगियों के ध्यान में लाया है। हम ऐसा करते रहेंगे। यह न केवल हमारे लिए चिंता का विषय है, बल्कि हमारे सहयोगियों के लिए भी चिंता का विषय होना चाहिए, क्योंकि इसका इन अन्य देशों में भी सामाजिक सामंजस्य और सामाजिक व्यवस्था पर प्रभाव पड़ता है।
ऊर्जा सुरक्षा को लेकर यूरोप एवं ब्रिटिश सरकार के रुख एवं भारत के रुख के बारें में एक सवाल के जवाब में विदेश सचिव ने कहा, हम इस बात पर बहुत स्पष्ट रहे हैं कि जहां तक ऊर्जा सुरक्षा का प्रश्न है, भारत सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता भारत के लोगों को ऊर्जा सुरक्षा प्रदान करना है और हम इस संबंध में जो भी करना होगा, करेंगे। ऊर्जा संबंधी मुद्दों पर भी, जैसा कि हमने पहले कहा है, दोहरे मापदंड न अपनाना और व्यापक ऊर्जा बाजार के संबंध में वैश्विक स्थिति के बारे में स्पष्ट दृष्टिकोण रखना महत्वपूर्ण है। हम समझते हैं कि यूरोप के सामने एक महत्वपूर्ण और गंभीर सुरक्षा मुद्दा है, लेकिन बाकी दुनिया भी... यह भी मौजूद है। यह उन मुद्दों से भी निपट रहा है जो बाकी दुनिया के लिए अस्तित्व से जुड़े हैं। मुझे लगता है कि इन मुद्दों पर बात करते समय संतुलन और परिप्रेक्ष्य बनाए रखना ज़रूरी है।........................
हिन्दुस्थान समाचार / सचिन बुधौलिया