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पूर्वी सिंहभूम, 22 जुलाई (हि.स.)। आनंद मार्ग के प्रचारक सुनील आनंद का कहना है कि नव्य मानवतावाद का अर्थ केवल मनुष्य की सेवा नहीं, बल्कि सम्पूर्ण सृष्टि के हर जीव, पशु-पक्षी और पेड़-पौधों की सेवा है। यह सेवा ही माधव सेवा है क्योंकि सबकुछ माधव की ही रचना है। सुनील आनंद अपने संस्था के प्रचार-प्रसार में मंगलवार को पूरे जिले में कर रहे हैं।
वे बताते हैं कि जैसे कोई माता-पिता अपने बच्चों से प्रेम करने वालों पर प्रसन्न होते हैं, वैसे ही जब मनुष्य सृष्टि के अन्य जीवों की निस्वार्थ सेवा करता है तो परमात्मा का स्नेह उस व्यक्ति पर और भी बढ़ जाता है।
आज का मनुष्य अपनी कुंठाओं और सीमित सोच के कारण प्रकृति व जीव-जंतुओं से अपने संबंध को भूलता जा रहा है। यही कारण है कि समाज जाति, धर्म और वर्गों में बंटकर संघर्ष कर रहा है।
श्री श्री आनंदमूर्ति जी ने नव्य मानवतावाद का विचार देकर मनुष्य को यह याद दिलाया कि पृथ्वी पर मनुष्य ही नहीं, बल्कि हर जीव, हर वृक्ष, हर पौधा हमारा भाई-बहन है। इनकी सेवा ही सच्चा मानव धर्म है और यही मानवता का सर्वोच्च आदर्श है।
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हिन्दुस्थान समाचार / गोविंद पाठक