हिमाचल में मंदिरों और सांस्कृतिक स्थलों का हो रहा आधुनिकीकरण, 550 करोड़ हाे रहा खर्च : मुकेश अग्निहोत्री
उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री


शिमला, 22 जुलाई (हि.स.)। हिमाचल प्रदेश सरकार राज्य की सांस्कृतिक धरोहरों, प्राचीन मंदिरों और धार्मिक स्थलों के संरक्षण और आधुनिकीकरण के लिए बड़ा निवेश कर रही है। उप-मुख्यमंत्री एवं भाषा, कला और संस्कृति विभाग के प्रभारी मुकेश अग्निहोत्री ने बताया कि प्रदेश सरकार द्वारा इस दिशा में अब तक लगभग 550 करोड़ रुपये व्यय किए जा चुके हैं।

उन्होंने कहा कि प्रदेश की सांस्कृतिक पहचान को सुरक्षित रखने के उद्देश्य से करीब 50 करोड़ रुपये की राशि प्राचीन मंदिरों, किलों और पुरातात्विक महत्व के स्थलों के जीर्णोद्धार के लिए स्वीकृत की गई है। इसमें से राज्य सरकार द्वारा अधिगृहीत मंदिरों में विभिन्न विकासात्मक कार्यों के लिए 37 करोड़ रुपये का सहायतानुदान भी प्रदान किया गया है।

श्रद्धालुओं की सुविधा को ध्यान में रखते हुए माता श्री चिंतपूर्णी मंदिर में 8 अगस्त, 2023 से सुगम दर्शन प्रणाली शुरू की गई है। इससे भीड़ प्रबंधन बेहतर हुआ है और वृद्धजनों व दिव्यांगों को विशेष सुविधा मिल रही है। साथ ही ऑनलाइन लंगर बुकिंग और ऑनलाइन दर्शन जैसी डिजिटल सेवाएं भी शुरू की गई हैं, जिन्हें अन्य मंदिर न्यासों में भी लागू किया जा रहा है।

प्रसाद योजना के तहत माता चिंतपूर्णी मंदिर के लिए 56.26 करोड़ रुपये स्वीकृत किए गए हैं, जिससे धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। इसके अतिरिक्त 250 करोड़ रुपये की लागत से मातारानी के भव्य भवन का निर्माण किया जा रहा है।

प्रदेश सरकार ने माता श्री ज्वालाजी और माता श्री नैना देवी मंदिरों के लिए भी 100-100 करोड़ रुपये की राशि स्वीकृत की है। इसके तहत आधारभूत ढांचे के विकास, दर्शन व्यवस्था में सुधार और श्रद्धालुओं की सुविधाओं को प्राथमिकता दी जा रही है।

पूजा विधियों की शुद्धता के लिए श्री चिंतपूर्णी मंदिर के 15 और माता नैना देवी मंदिर के 10 पुजारियों को काशी हिंदू विश्वविद्यालय के संस्कृत संकाय से ऑनलाइन प्रशिक्षण प्रदान किया गया है। इस योजना को आगे और मंदिरों में भी लागू किया जाएगा।

मुकेश अग्निहोत्री ने बताया कि राज्य सरकार ने सांस्कृतिक धरोहरों के अनुरक्षण के लिए 11.16 करोड़ रुपये तथा धार्मिक संस्थानों को वार्षिक पूजा-अर्चना व परिसंपत्तियों के विकास हेतु 1 करोड़ रुपये का अनुदान स्वीकृत किया है। साथ ही छोटे मंदिरों को मिलने वाली धूप-बत्ती सहायता राशि को वित्त वर्ष 2025-26 में दोगुना कर दिया गया है।

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हिन्दुस्थान समाचार / सुनील शुक्ला