एमडीयू ने लागू की पंडित दीन दयाल स्टूडेंट सेंट्रिक स्किल बेस्ड इंसेंटिव स्कीम
एमडीयू में अधिकारियों की बैठक लेते कुलपति राजबीर सिंह


पढ़ाई के साथ मिलेगा रोजगार, विद्यार्थी बनेंगे आत्मनिर्भर

रोहतक, 22 जुलाई (हि.स.)। महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय (एमडीयू) ने विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास और आत्मनिर्भरता की दिशा में ऐतिहासिक कदम उठाते हुए पंडित दीनदयाल उपाध्याय स्टूडेंट सेंट्रिक स्किल बेस्ड इंसेंटिव स्कीम की शुरुआत की है। यह योजना विश्वविद्यालय को देश के अग्रणी विद्यार्थी हितैषी संस्थानों की सूची में शामिल करती है।

इस स्कीम को प्रभावी ढंग से लागू करने हेतु मंगलवार काे कुलपति प्रो. राजबीर सिंह की अध्यक्षता में कार्यकारी समिति की बैठक आयोजित की गई, जिसमें योजना से संबंधित आवश्यक दिशा-निर्देश और क्रियान्वयन प्रक्रिया पर गहन चर्चा की गई। इस अभिनव योजना के तहत विश्वविद्यालय ने विद्यार्थियों के लिए 10 करोड़ रुपये का कॉर्पस फंड तैयार किया है, जिससे एमडीयू देश की पहली ऐसी यूनिवर्सिटी बन गई है, जिसने विद्यार्थियों के कौशल विकास और आर्थिक सशक्तिकरण के लिए इतनी बड़ी धनराशि का प्रावधान किया है।

कुलपति प्रो. राजबीर सिंह ने बैठक में शैक्षणिक सत्र 2025-26 में इस विद्यार्थी हितैषी स्कीम के प्रभावी क्रियान्वयन के दिशा-निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि इस स्कीम के तहत छात्रों को पढ़ाई के साथ-साथ विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों में उनकी योग्यता और रुचि के अनुसार कार्य करने का अवसर दिया जाएगा। इस योजना के पहले चरण में 1500 विद्यार्थियों को जोड़ा जाएगा। प्रत्येक विद्यार्थी को एक दिन में अधिकतम दो घंटे का कार्य दिया जाएगा, जिसके लिए प्रति घंटे के हिसाब से भुगतान किया जाएगा। एक विद्यार्थी एक माह में 8 हजार से लेकर 16 हजार रुपये तक कमा सकता है। इस तरह एक वर्ष में उन्हें 120 घंटे का कार्य अनुभव और आय दोनों प्राप्त होंगे।

इस स्कीम के तहत विद्यार्थियों को काम के बदले कितने पैसे दिए जाएंगे उसके लिए 4 स्लैब बनाए गए हैं। इसमें विद्यार्थी में जितनी ज्यादा प्रतिभा होगी उतने ही ज्यादा रुपए प्रति घंटा दिए जाएंगे। प्रथम स्लैब 200 रुपए प्रति घंटा, दूसरा 250 रुपए प्रति घंटा, तीसरा 300 रुपए प्रति घंटा और चौथे स्लैब में सबसे अधिक 400 रुपए प्रति घंटा के हिसाब से राशि दी जाएगी। इस दौरान प्रति दिन 2 घंटे काम दिया जाएगा। एक माह में विद्यार्थी अधिकतम 20 दिन यानी 40 घंटे काम कर सकता है। जबकि पूरे शैक्षिणक सत्र में 120 घंटे काम कर सकता है। कुलपति ने बैठक में कहा कि विद्यार्थियों के चयन की प्रक्रिया पूर्णतः: पारदर्शी और योग्यता आधारित होगी। उन्होंने कहा कि इस स्कीम के लिए विद्यार्थी का प्रतिभा, स्किल्स और आर्थिक स्थिति के आधार पर चयन किया जाएगा। इस योजना की तर्ज पर विश्वविद्यालय ने विदेशों में अपनाई जा रही पार्ट-टाइम जॉब प्रणाली को अपने यहां लागू किया है, जिससे विद्यार्थियों को शिक्षा के साथ ही रोजगार के अवसर मिल सकें। इससे न केवल विद्यार्थियों का आत्मविश्वास बढ़ेगा, बल्कि वे आत्मनिर्भर भी बन सकेंगे। कुलपति प्रो. राजबीर सिंह ने बताया कि यह योजना विद्यार्थियों के व्यक्तित्व निर्माण और स्किल डवलपमेंट को नई दिशा देगी। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय का उद्देश्य सिर्फ डिग्री देना नहीं, बल्कि विद्यार्थियों को रोजगार के लिए तैयार करना भी है। यह योजना एमडीयू को एक आदर्श विद्यार्थी-केंद्रित विश्वविद्यालय के रूप में स्थापित करने में मील का पत्थर साबित होगी।

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हिन्दुस्थान समाचार / अनिल