पशुपालक सीखेंगे वैज्ञानिक विधियों से पशुपालन एवं उद्यमिता के गुर
पशुपालक सीखेंगे वैज्ञानिक विधियों से पशुपालन एवं उद्यमिता के गुर


बीकानेर, 22 जुलाई (हि.स.)। स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय में वैज्ञानिक भेड़ बकरी पालन के माध्यम से उद्यमिता विकास पर सात दिवसीय प्रशिक्षण मंगलवार को डीएचआरडी सभागार में प्रारम्भ हुआ।

इस प्रशिक्षण में उत्तरप्रदेश, दिल्ली, हरियाणा, कर्नाटक, गुजरात , दिल्ली और राजस्थान सहित सात राज्यों से 75 प्रगतिशील किसान हिस्सा ले रहे हैं। प्रशिक्षण में भेड़ बकरी पालन के वैज्ञानिक तरीके, पशु प्रबंधन और पोषण की विभिन्न विधियों के साथ-साथ उद्यमिता विकास से संबंधित विभिन्न जानकारियां दी जाएंगी।

प्रशिक्षण के उद्घाटन अवसर पर आयोजित समारोह को संबोधित करते हुए कुलगुरु डॉ अरुण कुमार ने कहा कि खेती के साथ पशुपालन कृषि को लाभकारी बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण है। समग्र दृष्टिकोण अपनाते हुए किसानों को वैज्ञानिक तरीकों से पशुओं के पोषण, प्रबंधन के साथ-साथ राज्य सरकार की योजनाओं, बैंकिंग सेक्टर के माध्यम से ऋण प्रकिया इत्यादि की विस्तार से जानकारी दी जाए। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में कार्य करने वाले प्रगतिशील पशुपालकों और किसानों के साथ विस्तृत संवाद आयोजित हो। किसानों और पशुपालकों की शंकाओं का हर संभव समाधान किया जाए। उन्होंने किसानों को प्रशिक्षण से मिली जानकारी के नोट्स तैयार करने का आह्वान करते हुए कहा कि विश्वविद्यालय खेती और पशुपालन के माध्यम से स्वरोजगार विकसित करने की दिशा में प्रतिबद्धता के साथ काम कर रहा है। उन्होंने प्रोजेक्ट फार्मेशन, वैक्सीनेशन, दवा रोग उपचार, पोषण, प्रबंधन सहित उद्यमिता के सम्पूर्ण आयामों से परिचित करवाने की बात कही। वित्त नियंत्रक पवन कस्वां ने कहा कि खेती और पशुपालन में वैज्ञानिक तरीकों का प्रयोग लाभप्रद साबित हो रहा है। प्रशिक्षण में दूर दराज के क्षेत्रों से किसान और पशुपालक पहुंचे हैं। स्टाक होल्डर्स को प्रशिक्षण का पूरा लाभ मिले विश्वविद्यालय इस, दिशा में गंभीरता से कार्य कर रहा है। कस्वां ने खेजड़ी की पत्तियों (लूंग) से भेड़ बकरी के चारे और पोषण का उदाहरण देते हुए कहा कि स्थानीय नस्लों के पालन में वैज्ञानिक एप्रोच विकसित करें।

अनुसंधान निदेशक डॉ विजय प्रकाश ने कहा कि कृषि एवं पशुपालन का करीबी संबंध है। खेती को लाभकारी बनाने के लिए समावेशी खेती अपनानी होगी। पशुपालन के माध्यम से उद्यमिता विकास कर हम स्वरोजगार के साथ रोजगार देने की दिशा में अग्रसर हो सकते हैं। राजस्थान पशुधन में अग्रणी राज्यों में शुमार है। किसान वैज्ञानिक तरीकों से पशुपालन कर आय संवर्धन का लाभ लें। उन्होंने पशुपालकों को स्थानीय नस्ल के पशु पालन के लिए भी प्रेरित किया। डॉ शंकरलाल ने स्वागत उद्बोधन में प्रशिक्षण की रुपरेखा पर विस्तार से जानकारी दी।

इस दौरान हनुमानगढ़ से बृजमोहन कस्वां, सूरतगढ़ से सुजीत सिंह, मोहम्मद युसूफ सहित अन्य प्रशिक्षार्थियों ने अपने अनुभव साझा किए और सवाल किए। प्रसार शिक्षा निदेशक डॉ नीना सरीन ने आभार व्यक्त किया।

इस अवसर पर सामुदायिक विज्ञान महाविद्यालय की अधिष्ठाता डॉ विमला डुकवाल, मानव संसाधन विकास अधिष्ठाता डॉ दीपाली धवन, डॉ वाई के सिंह, उपनिदेशक प्रसार शिक्षा डॉ राजेश वर्मा सहित अन्य अधिकारी,किसान और विद्यार्थी उपस्थित रहे।

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हिन्दुस्थान समाचार / राजीव