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जोधपुर, 22 जुलाई (हि.स.)। जिला न्यायालयों में कैडर पुनर्गठन की मांग पिछले दो वर्षों से लबित है। राजस्थान उच्च न्यायालय की पूर्ण पीठ ने मई 2023 में प्रस्ताव पास कर राज्य सरकार के पास भिजवाया था, लेकिन सरकार ने लागू नहीं किया है। इससे न्यायिक कर्मचारियों को आर्थिक नुकसान के साथ ही प्रमोशन के भी कम अवसर मिल रहे हैं। जबकि राज्य सरकार ने दूसरे सरकारी विभागों में पुनर्गठन नियमानुसार कर दिया है। इसी मांग को लेकर न्यायिक कर्मचारी 18 जुलाई से कार्य बहिष्कार कर आंदोलन कर रहे हैं। यह आंदोलन मंगलवार को भी जारी रहा। मंगलवार को कर्मचारियों ने कचहरी परिसर में रैली निकाली और अपनी मांग को जिला कलेक्टर को मुख्यमंत्री के नाम का ज्ञापन सौंपा।
राजस्थान न्यायिक कर्मचारी संघ के आह्वान पर जिले के न्यायिक कर्मचारी एवं जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के कर्मचारी आज भी सामूहिक अवकाश पर रहे। जिला मुख्यालय पर कचहरी परिसर में मंगलवार को कर्मचारी एकत्र हुए और रैली निकाली। इस दौरान कर्मचारियों ने नारेबाजी कर कैडर पुनर्गठन की मांग की। कर्मचारियों के सामूहिक अवकाश पर जाने के कारण मंगलवार को भी न्यायालयों का कामकाज प्रभावित हुआ।
कई प्रकरणों में पक्षकारों को आगामी तारीख पेशी दी गई। जोधपुर शाखा के अध्यक्ष अनिल जोशी ने बताया कि मुख्यमंत्री के नाम सौंपे गए ज्ञापन में उल्लेख किया गया कि राज्य सरकार न्यायिक विभाग के कर्मचारियों के साथ कैडर पुनर्गठन को लेकर दोहरा मापदंड अपना रही है। पूर्ण पीठ की अनुशंसा के बावजूद दो वर्ष से अधिक समय बीत जाने पर भी कोई सकारात्मक कार्रवाई नहीं की गई है।
राज्य सरकार द्वारा अन्य विभागों में पुनर्गठन नियमानुसार लागू किया जा चुका है, जबकि न्यायिक कर्मचारियों के साथ यह स्पष्ट भेदभाव किया जा रहा है।
अध्यक्ष अनिल जोशी ने बताया कि 23 जुलाई को धरनास्थल पर राज्य सरकार को सद्बुद्धि देने के लिए सुंदरकांड पाठ का आयोजन किया जाएगा। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि शीघ्र ही कैडर पुनर्गठन की मांगों को स्वीकार नहीं किया गया, तो आंदोलन को और अधिक उग्र रूप दिया जाएगा। साथ ही यह भी स्पष्ट किया गया कि वर्तमान में राज्य सरकार की हठधर्मिता के कारण जोधपुर सहित समूचे राजस्थान की अधीनस्थ न्यायालयों में न्यायिक कार्य बाधित हो रहा है, जिसकी पूरी जि़म्मेदारी राज्य सरकार की होगी।
हिन्दुस्थान समाचार / सतीश