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जयपुर, 22 जुलाई (हि.स.)। राजस्थान की पहचान लंबे समय तक एक रेगिस्तानी और जल-संकटग्रस्त राज्य के रूप में रही है, लेकिन अब इस छवि को बदलने का संकल्प मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने लिया है। उनका नेतृत्व पर्यावरणीय चेतना को केवल नीति तक सीमित नहीं रख रहा, बल्कि उसे जन-आंदोलन का रूप दे रहा है। हरियाली, जल संरक्षण, स्वच्छ ऊर्जा और सतत विकास अब राजस्थान की शासन प्राथमिकताओं में शीर्ष पर हैं।
मुख्यमंत्री के नेतृत्व में राज्य सरकार ने वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए प्रदेश का पहला ग्रीन बजट पेश कर एक ऐतिहासिक शुरुआत की है। इस बजट में राज्य के कुल स्कीम खर्च का 11.34 प्रतिशत, यानी 27,854 करोड़ रुपये ग्रीन ग्रोथ से जुड़ी परियोजनाओं के लिए निर्धारित किए गए हैं। सरकार का लक्ष्य है कि वर्ष 2030 तक राज्य संयुक्त राष्ट्र के सस्टेनेबल डवलपमेंट गोल्स को हासिल करे। इसके लिए जलवायु अनुकूलन की पांच वर्षीय योजना तैयार की जा रही है और एक सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर क्लाइमेट चेंज की स्थापना की जाएगी, जिससे पर्यावरणीय शोध और नीति निर्माण को मजबूती मिलेगी।
’एक पेड़ मां के नाम’ अभियान से प्रेरणा लेते हुए राज्य सरकार ने ‘हरियालो राजस्थान’ महाअभियान शुरू किया है। पिछले मानसून में 7 करोड़ से अधिक पौधे लगाए जा चुके हैं और इस वर्ष 10 करोड़ पौधे लगाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की पहल पर शुरू हुआ यह अभियान केवल वृक्षारोपण तक सीमित नहीं है, बल्कि इससे जुड़े ‘मातृ वन’ और ‘स्मृति वन’ जैसी संकल्पनाएं इसे एक भावनात्मक आंदोलन बना रही हैं। हर जिले में आमजन की भागीदारी से मातृ वन बनाए जा रहे हैं, जहाँ नागरिक अपने परिजनों की स्मृति में वृक्ष लगाकर पर्यावरण के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभा रहे हैं। इस अभियान को डिजिटल रूप से ट्रैक करने के लिए ‘हरियालो राजस्थान’ मोबाइल ऐप भी विकसित किया गया है।
नवीन ऊर्जा में आत्मनिर्भरता: किसान बना ऊर्जा उत्पादक
राज्य में सौर ऊर्जा के क्षेत्र में रिकॉर्ड प्रगति हुई है। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के नेतृत्व में वर्तमान सरकार के कार्यकाल में 1190 मेगावाट की क्षमता वाले 592 सौर संयंत्र लगाए गए हैं। ये संयंत्र कुसुम योजना के तहत किसानों द्वारा स्वयं अथवा डेवलपर के साथ साझेदारी में स्थापित किए गए हैं, जिससे किसान अब अन्नदाता के साथ-साथ ऊर्जादाता भी बन गए हैं। इन संयंत्रों से उत्पादित बिजली महज ढाई से तीन रुपये प्रति यूनिट में डिस्कॉम्स को मिल रही है, जो थर्मल बिजली की तुलना में बेहद सस्ती और प्रदूषणरहित है। यह योजना न केवल किसानों की आय बढ़ा रही है, बल्कि ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में भी बड़ा कदम है।
जल संरक्षण में अभिनव प्रयास: कर्मभूमि से मातृभूमि अभियान
राजस्थान के परंपरागत जल-स्रोतों की संस्कृति को पुनर्जीवित करने के लिए ‘कर्मभूमि से मातृभूमि’ अभियान की शुरुआत की गई है। यह पहल उन प्रवासी राजस्थानियों को उनके गांवों से जोड़ रही है, जो देश-विदेश में बस चुके हैं लेकिन अपनी मातृभूमि के प्रति जुड़ाव बनाए रखना चाहते हैं। इस अभियान के तहत प्रवासी जन रिचार्ज शाफ्ट और जल संरक्षण संरचनाओं के निर्माण में आर्थिक और तकनीकी सहयोग दे रहे हैं। भूजल पुनर्भरण को बढ़ावा देने वाली इन संरचनाओं के माध्यम से गिरते भूजल स्तर को सुधारने की दिशा में सार्थक प्रयास हो रहे हैं। अभियान के अंतर्गत अगले चार वर्षों में 45 हजार जल संरचनाएं बनाने का लक्ष्य रखा गया है, जिनमें से हजारों पर कार्य शुरू हो चुका है।
वंदे गंगा जल संरक्षण जन अभियान: जनभागीदारी से जल संस्कृति की पुनर्स्थापना
5 जून से 20 जून तक चलाया गया ’वंदे गंगा जल संरक्षण जन अभियान’ मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की जन-संवेदनशील पहल का जीवंत उदाहरण है। अभियान के दौरान राज्यभर में जल स्रोतों की साफ-सफाई, पूजन, जलाभिषेक और श्रमदान जैसे कार्यक्रम आयोजित किए गए, जिनमें मुख्यमंत्री स्वयं भी भागीदार बने। इस अभियान के तहत 3 लाख 70 हजार से अधिक कार्यक्रमों में लगभग 2 करोड़ 53 लाख लोगों ने भाग लिया। लगभग 42 हजार जलस्रोतों की सफाई और मरम्मत की गई तथा हजारों नए जल संरक्षण कार्य प्रारंभ किए गए। अभियान में जल को लेकर जन चेतना को एक सामाजिक आंदोलन का रूप मिला।
स्थायी परिवर्तन की ओर: स्वच्छ ऊर्जा और नवाचार की पहल
राज्य सरकार ने क्लीन कुकिंग को बढ़ावा देने के लिए एक लाख लाभार्थियों को निःशुल्क इंडक्शन कुकटॉप वितरित करने का निर्णय लिया है। ग्रामीण क्षेत्रों में प्लास्टिक के उपयोग को सीमित करने के लिए ग्राम पंचायतों में बर्तन बैंक की व्यवस्था की जा रही है। वेस्ट टू हेल्थ पार्क्स और क्लीन एंड ग्रीन टेक्नोलॉजी डेवलपमेंट सेंटर जैसे नवाचारों से पर्यावरण संरक्षण को तकनीकी मजबूती दी जा रही है।
हरियालो राजस्थान, भविष्य की दिशा, वर्तमान की आवश्यकता
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा का नेतृत्व राजस्थान को पारंपरिक रेगिस्तान से हरित समृद्धि की ओर ले जा रहा है। यह केवल वृक्षारोपण या जल संरक्षण की पहल नहीं है, बल्कि यह समग्र दृष्टिकोण है जो पर्यावरणीय, सामाजिक और आर्थिक क्षेत्रों को जोड़ता है। आज राजस्थान सतत विकास की दिशा में देश के अग्रणी राज्यों में शुमार हो रहा है। हर नागरिक की भागीदारी और सरकार की प्रतिबद्धता के साथ, ‘हरियालो राजस्थान’ अब केवल एक सपना नहीं, बल्कि साकार होता यथार्थ है।
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हिन्दुस्थान समाचार / संदीप