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भोपाल, 22 जुलाई (हि.स.)। वीर भारत न्यास द्वारा समुद्र मंथन दिवस पर आगामी 24 जुलाई को भोपाल के रवीन्द्र भवन परिसर में हरिहर राष्ट्रीय नाट्य समारोह के साथ-साथ कलाओं में बघेश्वर और मणिधर प्रदर्शनी का आयोजन किया जा रहा है। मुख्यंमंत्री डॉ. मोहन यादव द्वारा इसका शुभारंभ किया जाएगा। यह प्रदर्शनी 29 जुलाई तक प्रदर्शित रहेगी। इसके अलावा यही प्रदर्शनी वाघ दिवस (28 जुलाई) और नाग पंचमी (29 जुलाई) को दृष्टिगत रखते हुए 27 जुलाई से एक सप्ताह के लिए उज्जैन के महाकाल लोक परिसर में प्रदर्शित की जाएगी।
वीर भारत न्यास के न्यासी सचिव एवं मुख्यमंत्री के संस्कृति सलाहकार श्रीराम तिवारी ने मंगलवार को समुद्र मंथन दिवस के महत्व को बताते हुए कहा कि सृष्टि के निर्माण और विकास के क्रम में भारतीय परंपरा में समुद्र मंथन से उद्भुत 14 अनुपम रत्नों का वितरण महाकाल वन, उज्जैन में हुआ था। ये रत्न स्वाभाविक तौर पर देवों और असुरों के बीच वितरित हुए। समुद्र मंथन के आख्यान में मनुष्यों की भूमिका के बारे में कुछ ज्यादा उल्लेख भी नहीं मिलता है। बाद में भरतमुनि जैसे चिंतक और मनीषी ने समुद्र की तरह वेदों का मंथन कर मनुष्यों के लिए नाट्य शास्त्र का प्रणयन किया। यह भी संस्कृति के इतिहास में लगभग आरंभिक घटनाओं में से एक है।
तिवारी ने कहा कि समुद्र मंथन में हरि और हर की अद्वितीय भूमिका रही है और संसार के विकासक्रम में शिव और शक्ति के अनन्य सहचर बाघ और नाग निरंतर सक्रिय रहे हैं और दोनों ही निरंतर अनेक परंपराओं के जनक भी है। इनके माध्यम से भी हम समाज के विकास की विभिन्न धाराओं को देख और पहचान सकते हैं। समुद्र मंथन, बाघ और नाग के दिवस संयोग से लगभग अड़ोस-पड़ोस में ही है।
उन्होंने कहा कि समुद्र मंथन से निकले अमृत, विष और रत्नों की तरह ही जीवन संघर्षों से उन्नति प्राप्त होती है। भगवान शिव ने जब हलाहल विष को ग्रहण किया, तब उनके त्याग से सृष्टि की रक्षा हुई। माता दुर्गा शक्ति, साहस और न्याय का प्रतीक हैं। नाग देवता लोक आस्था के प्रतीक हैं, वहीं बाघ हमारी जैव विविधता और संस्कृति की गरिमा का परिचायक है। मध्यप्रदेश की धरा इन सभी पौराणिक प्रतीकों को संजोए हुए है।
उन्होंने बताया कि प्रदर्शनी में देश-प्रदेश के लोक एवं जनजातीय कलाकारों द्वारा रचे गये चित्रों की वृहत प्रदर्शनी का आयोजन 24 से 29 जुलाई तक रवीन्द्र भवन परिसर में तथा वाघ दिवस और नाग पंचमी को दृष्टिगत रखते हुए 27 जुलाई से एक सप्ताह के लिए उज्जैन के महाकाल लोक परिसर में प्रदर्शनी को प्रदर्शित किया जायेग। ----------------------
हिन्दुस्थान समाचार / मुकेश तोमर