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नई दिल्ली, 22 जुलाई (हि.स.)। केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को लोकसभा में बताया कि सरकार ने 15 फरवरी 2023 को देश में सहकारी आंदोलन को जमीनी स्तर तक मजबूत करने और इसकी पहुंच हर गांव और पंचायत तक सुनिश्चित करने के लिए एक व्यापक योजना को मंजूरी दी थी। इस योजना के तहत आगामी पांच वर्षों में देशभर के सभी गांवों और पंचायतों में दो लाख नई बहुउद्देशीय प्राथमिक कृषि साख समितियां (एम-पीएसीएस), डेयरी और मत्स्य सहकारी समितियों की स्थापना का लक्ष्य है।
अमित शाह ने एक प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया कि यह योजना केंद्र सरकार की मौजूदा योजनाओं जैसे डेयरी इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट फंड (डीआईडीएफ), राष्ट्रीय डेयरी विकास कार्यक्रम (एनपीडीडी), पीएम मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई) आदि के समन्वय से लागू की जा रही है। इसमें राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड), राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी), राष्ट्रीय मत्स्य विकास बोर्ड (एनएफडीबी) और राज्य सरकारों की भूमिका अहम है।
राष्ट्रीय सहकारी डाटाबेस का हवाला देते हुए शाह ने बताया कि 30 जून 2025 तक देशभर में 22,606 नयी पीएसीएस, डेयरी और मत्स्य सहकारी समितियां पहले ही पंजीकृत की जा चुकी हैं। इस योजना के प्रभावी और समयबद्ध क्रियान्वयन के लिए 19 सितंबर 2024 को सहकारिता मंत्रालय द्वारा नाबार्ड, एनडीडीबी और एनएफडीबी के समन्वय में एक मार्गदर्शिका (एसओपी - मार्गदर्शिका) जारी की गयी है। इसमें सभी संबंधित पक्षों की भूमिकाएं, लक्ष्यों और समयसीमा को स्पष्ट रूप से दर्शाया गया है।
मार्गदर्शिका के अनुसार, आंध्र प्रदेश में कुल 4,188 पीएसीएस, 9,149 डेयरी और 200 मत्स्य सहकारी समितियों के गठन का लक्ष्य है लेकिन राष्ट्रीय सहकारी डाटाबेस के मुताबिक, 30 जून 2025 तक राज्य में केवल 891 डेयरी सहकारी समितियां (जिनमें से 5 कृष्णा जिले में हैं) और 2 मत्स्य सहकारी समितियां ही पंजीकृत की जा सकी हैं।
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हिन्दुस्थान समाचार / सुशील कुमार