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- मुख्यमंत्री ने उप्र कृषि अनुसंधान परिषद के 36वें स्थापना दिवस में की शिरकत
- विकसित कृषि-विकसित उप्र@ 2047' विषयक संगोष्ठी का किया शुभारंभ
लखनऊ, 22 जुलाई (हि.स.)। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मंगलवार को रायबरेली रोड स्थित भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान में आयोजित विकसित कृषि-विकसित उप्र@ 2047' विषयक संगोष्ठी का शुभारंभ किया। मुख्यमंत्री ने उप्र कृषि अनुसंधान परिषद के 36वें स्थापना दिवस समारोह में शामिल होने के दौरान प्रदर्शनी का अवलोकन और पुस्तिकाओं-न्यूज लेटर का विमोचन किया। उन्होंने राष्ट्रीय संगोष्ठी में अपने विचार रखे और कृषि वैज्ञानिकों, युवा प्रतिभाओं, एफपीओ आदि का सम्मान भी किया।
मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि आज भी यूपी में सर्वाधिक रोजगार देने वाला क्षेत्र कृषि है। लगभग तीन करोड़ किसान कृषि पर निर्भर हैं। इसके बाद सर्वाधिक रोजगार एमएसएमई दे रहा है। इसके माध्यम से 1.65 करोड़ लोग रोजगार प्राप्त करते हैं। उन्होंने कहा कि कृषि पलायन का नहीं, बल्कि खुशहाली का माध्यम बने। यह तभी संभव है, जब इस क्षेत्र में किए जाने वाले अनुसंधान का लाभ किसानों को दे पाएंगे। उन्होंने कहा कि यूपी विकसित होता है तो भारत को विकसित होने से कोई ताकत रोक नहीं सकती। हर व्यक्ति अपने क्षेत्र में ईमानदारी से प्रयास करता है तो उस लक्ष्य को प्राप्त करने में कोई दिक्कत नहीं होगी।
जलवायु, मिट्टी के अनुरूप शोध व विकास को बढ़ाने के लिए खुद को करना होगा तैयार
योगी ने कहा कि हमें भारत की जलवायु, मिट्टी के अनुरूप शोध व विकास को बढ़ाने के लिए खुद को तैयार करना होगा। यूपी के अंदर यह सभी संभावनाएं छिपी हुई हैं। पीएम मोदी ने देशवासियों के सामने 2047 तक भारत को विकसित करने का लक्ष्य रखा है। विकसित भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने में राज्यों को भी अपनी भूमिका का निर्वहन करना है। हमें विकसित उत्तर प्रदेश बनाना है और इसके लिए सभी क्षेत्रों में अपनी संभावनाओं को तलाशना है। केंद्र सरकार ने तय किया है कि भारत पांच ट्रिलियन डॉलर की इकॉनमी बनेगा। हमने भी तय किया है कि 2029 में यूपी को वन ट्रिलियन डॉलर की इकॉनमी बनाएंगे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि कृषि व कृषि अनुसंधान की दृष्टि से यूपी प्रकृति व परमात्मा की कृपा वाला प्रदेश है। हमारे पास विस्तृत और उर्वरा कृषि भूमि, पर्याप्त जल संसाधन है। दुनिया में यूपी एकमात्र ऐसा राज्य होगा, जिसका 86 फीसदी से अधिक भूभाग सिंचित है। यहां केंद्र व राज्य सरकार के कृषि विश्वविद्यालयों का बेहतरीन संजाल है। यूपी सरकार पहले से चार कृषि विश्वविद्यालय संचालित कर रही है। पांचवां विवि भी स्थापित हो रहा है। केंद्र सरकार द्वारा भी प्रदेश में पहले से ही कृषि विवि संचालित हो रहे हैं और कृषि अनुसंधान के लिए 15 से अधिक संस्थान कार्यरत हैं। 89 कृषि विज्ञान केंद्र भी अपनी विशेषज्ञता का लाभ किसानों को प्रदान करते हैं। इसके बावजूद किसानों की स्थिति चौंकाने वाले तथ्य प्रस्तुत करती है। प्रदेश के बमुश्किल 25 से 30 फीसदी किसान ही ऐसे हैं, जो वैज्ञानिक शोध व अनुसंधान के कार्यों को प्रभावी ढंग से खेती में लागू कर पा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि देश की आबादी का 16 फीसदी हिस्सा यूपी में निवास करता है। देश के कृषि योग्य कुल भूमि का केवल 11 फीसदी यूपी में है। इस भूमि पर देश का 20 फीसदी से अधिक खाद्यान्न उत्पादन हो रहा है। हालांकि यूपी की भूमि के समतलीकरण, उर्वरता, जल संसाधन को देखते हुए इससे तीन गुना अधिक उत्पादन लिया जा सकता है। यूपी के पास देश ही नहीं, दुनिया का पेट भरने का भी सामर्थ्य है।
सीएम ने कहा कि 2047 में जब भारत 30 ट्रिलियन डॉलर की इकॉमनी होगा तो यूपी कहां होगा, उसकी प्रति व्यक्ति आय क्या होगी। कृषि, इंफ्रास्ट्रक्चर, शिक्षा, उद्योग, स्वास्थ्य के क्षेत्र में हमारी क्या स्थिति होनी है। इस पर यूपी ने व्यापक कार्ययोजना बनाई है। हम विजन 2047 की कार्ययोजना के साथ तो आगे बढ़ रहे हैं। कृषि विवि, कृषि विज्ञान केंद्रों व अनुसंधान के लिए कार्यरत संस्थान इस दिशा में प्रयास प्रारंभ करें।
सीएम ने जलवायु परिवर्तन के दुष्परिणाम को लेकर जताई चिंता
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने इजराइल की मदद से सेंटर ऑफ एक्सीलेंस स्थापित किए थे। उन्होंने हमें तकनीक का सहयोग किया था। यहां के वैज्ञानिकों ने प्रशिक्षण लेकर उसे आगे बढ़ाने में योगदान किया। उसका एक्सटेंशन क्या है। हमें उस दिशा में भी प्रयास करने चाहिए। यदि इजराइल यह कार्य कर सकता है तो हमारे कृषि विवि क्यों नहीं कर सकते। कब तक किसानों को खेतीबाड़ी से पलायन करने के लिए मजबूर होते देखते रहेंगे। सीएम ने कहा कि जलवायु परिवर्तन के दुष्परिणाम सामने आ रहे हैं। इस समय भारी बारिश होनी चाहिए, लेकिन प्रदेश के लगभग 15-16 जनपदों में औसत से कम बारिश हुई है।
कार्यक्रम में कृषि मंत्री सूर्यप्रताप शाही, राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) दिनेश प्रताप सिंह, कृषि राज्यमंत्री बलदेव सिंह औलख, गोसेवा आयोग के अध्यक्ष श्याम बिहारी गुप्ता, प्रमुख सचिव रविंद्र, उप्र कृषि अनुसंधान परिषद के महानिदेशक डॉ. संजय सिंह, अध्यक्ष कैप्टन विकास गुप्ता आदि मौजूद रहे।--------------
हिन्दुस्थान समाचार / दिलीप शुक्ला