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पटना, 02 जुलाई (हि.स.)। राजधानी पटना में सरकारी नौकरियों में डोमिसाइल नीति लागू करने की मांग को लेकर छात्रों ने बुधवार को सड़क पर उतरकर विरोध प्रदर्शन किया।
पटना कॉलेज से शुरू हुआ छात्रों का प्रदर्शन शहर के प्रमुख मार्गों तक पहुंचा।
हजारों छात्रों ने “वोट दे बिहारी, नौकरी ले बाहरी, अब नहीं चलेगा” जैसे नारे लगाते हुए बिहार सरकार से नौकरियों में स्थानीय लोगों को प्राथमिकता देने की मांग की।
छात्रों का कहना है कि जब तक सरकार इस मुद्दे पर स्पष्ट रुख नहीं अपनाती, तब तक आंदोलन जारी रहेगा। आंदोलनकारियों की मांग है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार खुद सामने आकर डोमिसाइल नीति पर सरकार का रुख स्पष्ट करें। इससे पहले भी पटना में डोमिसाइल नीति को लेकर कई बार छात्र प्रदर्शन कर चुके हैं, लेकिन इस बार का आंदोलन बड़े स्तर पर आयोजित किया गया है। इसे 'महान छात्र आंदोलन' का नाम दिया गया है।
छात्र गांधी चौक, मुसल्लहपुर हाट, भिखना पहाड़ी, नया टोला, मछुआ टोली, हथुआ मार्केट होते हुए गांधी मैदान, जेपी गोलंबर, डाक बंगला होते हुए मुख्यमंत्री आवास का घेराव करने पहुंचे , जहां पुलिस बल ने बल प्रयोग कर उन्हें वहां से हटा दिया। सैकड़ों छात्र अलग अलग जिले से पटना पहुंचे थें। छात्रों की मांग है कि शिक्षक भर्ती परीक्षा में 100 प्रतिशत डोमिसाइल लागू किया जाए। साथ ही माध्यमिक, उच्चतर माध्यमिक शिक्षकों की भर्ती, दारोगा, सिपाही, लाइब्रेरियन, बीपीएससी और अन्य सभी सरकारी नौकरियों में भी 90 प्रतिशत डोमिसाइल लागू हो ,जिससे राज्य के युवाओं को नौकरी मिल सके। प्रदर्शनकारियों ने पड़ोसी राज्यों जैसे झारखंड और उत्तराखंड का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां डोमिसाइल नीति लागू होने से स्थानीय युवाओं को रोजगार मिल रहा है। प्रदर्शन को नियंत्रित करने के लिए पटना प्रशासन ने भारी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया था।। जेपी गोलंबर और अन्य प्रमुख मार्गों पर बैरिकेड्स लगाए गए। प्रशासन ने प्रदर्शन को अनधिकृत बताते हुए सख्त कार्रवाई की चेतावनी दी है।
छात्र नेता दिलीप कुमार ने मीडिया से बातचीत में कहा कि चुनाव में मत बिहारी देते हैं और जब नौकरी देने की बारी आती है, तो सरकार बाहरी लोगों को नौकरी दे देती है। इसी के विरोध में आज हम सड़कों पर उतरे हैं। पटना की सड़कों पर अपनी हक की आवाज उठाइ है, आगे भी उठाते रहेंगे।
उल्लेखनीय है कि डोमिसाइल नीति की मांग पिछले कुछ समय से तेज हो रही है। सोशल मीडिया पर भी यह मुद्दा तेजी से ट्रेंड कर रहा है। कई छात्र संगठनों ने सरकार से स्पष्ट नीति लाने की अपील की है। छात्रों का कहना है कि यदि उनकी मांगों पर जल्द विचार नहीं किया गया, तो आंदोलन और व्यापक होगा।
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हिन्दुस्थान समाचार / गोविंद चौधरी