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हरिद्वार, 2 जुलाई (हि.स.)। श्रावण मास की कांवड़ यात्रा की आध्यात्मिक मर्यादा और धार्मिक पवित्रता को अक्षुण्ण रखने के लिए हरिद्वार में संत समाज और विभिन्न हिंदू संगठनों ने एकजुट होकर बड़ा कदम उठाया। पंचदशनाम जूना अखाड़ा के वरिष्ठ महामंडलेश्वर स्वामी प्रबोधानंद गिरी महाराज के नेतृत्व में संतों ने हरिद्वार की नगर मजिस्ट्रेट कुश्म चौहान को ज्ञापन सौंपते हुए स्पष्ट मांग रखी कि कांवड़ मार्ग पर गैर-हिंदू व्यापारियों और सेवा प्रदाताओं के संचालन पर पूर्ण प्रतिबंध लगे।
महामंडलेश्वर स्वामी प्रबोधानंद गिरी ने कहा कि कांवड़ यात्रा केवल तीर्थ नहीं, यह संयम और तपस्या का तीव्रतम स्वरूप है। इसे अपवित्र करने की अनुमति नहीं मिलनी चाहिए। हठयोगी बाबा ने कहा कि यह कोई पर्यटन नहीं, तपस्या है। जो गैर-हिंदू हैं, वे कांवड़ यात्रा से दूर रहें।
भारत माता मंदिर के महंत ललितानंद गिरी ने चेतावनी देते हुए कहा कि कांवड़ यात्रा में आस्था से खिलवाड़ नहीं करने दिया जाएगा। । इसके लिये मुख्यमंत्री को साफ निर्देश देना चाहिए।
महामंडलेश्वर रूपेन्द्र प्रकाश महाराज ने कहा कि यह वैमनस्य नहीं, तप की पवित्रता की रक्षा की मांग है। जिसके लिए सभी संत एकमत हैं।
हिंदू रक्षा सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष स्वामी प्रबोधानंद गिरि ने कहा कि जो भी आस्था में विघ्न डालेगा, उसका इलाज होगा। धर्मद्रोहियों को माफ नहीं किया जाएगा।
संतों ने कहा कि कांवड़ यात्रा केवल धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि भारत की सनातन परंपरा और सामाजिक आस्था का जीता-जागता उत्सव है। शासन को चाहिए कि वह संत समाज की मांगों को केवल सुने नहीं, उन्हें अमल में भी लाए — ताकि आस्था, मर्यादा और सांप्रदायिक समरसता की गरिमा बनी रहे।
साैंपे गए ज्ञापन में मांग की गई है कि कांवड़ मार्ग पर गैर-हिंदू व्यापारियों व सेवा प्रदाताओं पर पूर्ण प्रतिबंध हो।
धार्मिक वस्तुओं की बिक्री का अधिकार केवल हिंदू दुकानदारों को हो। सभी विक्रेताओं व शिविर संचालकों की धार्मिक पहचान की जांच अनिवार्य हो। संवेदनशील क्षेत्रों में सीसीटीवी निगरानी और सुरक्षा बलों की विशेष तैनाती की जाए। साथ ही संतों, सामाजिक कार्यकर्ताओं व प्रशासनिक अधिकारियों की संयुक्त निगरानी समिति का गठन किया जाए।
ज्ञापन में कहा गया कि पिछले वर्षों में कांवड़ यात्रा में धार्मिक अपवित्रता की घटनाएं—जैसे प्रसाद में मिलावट, आपत्तिजनक वीडियो और संदिग्ध व्यापार—श्रद्धालुओं की भावनाओं को आहत कर चुके हैं। इसलिए अब और सहन नहीं किया जाएगा। ज्ञापन देते समय बड़ी संख्या में संत उपस्थित थे।
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हिन्दुस्थान समाचार / डॉ.रजनीकांत शुक्ला