Enter your Email Address to subscribe to our newsletters
इस्लामाबाद, 02 जुलाई (हि.स.)। प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के मानहानिक केस का सामना कर रहे और लंबे समय से जेल में बंद पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के संस्थापक इमरान खान ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। अपदस्थ प्रधानमंत्री इमरान खान ने मामले की सुनवाई करने वाली अदालत के अधिकार क्षेत्र को चुनौती देते हुए याचिका दायर की है।
पाकिस्तान के अखबार द एक्सप्रेस ट्रिब्यून की खबर के अनुसार, याचिका में पीटीआई संस्थापक ने सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया है कि जब तक उनकी अपील पर कोई फैसला नहीं आ जाता, तब तक मानहानि मामले में कार्यवाही स्थगित कर दी जाए। उनका तर्क है कि कानून के तहत केवल जिला और सत्र न्यायालय को ही ऐसे मानहानि के मामलों की सुनवाई करने का अधिकार है।
याचिका में अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश के अधिकार क्षेत्र को भी चुनौती दी गई है, जिनके फैसले को पहले लाहौर हाई कोर्ट ने बरकरार रखा था। खान की कानूनी टीम ने सुप्रीम कोर्ट से अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश और लाहौर हाई कोर्ट दोनों के आदेशों को रद्द करने की मांग की है। इसके अलावा, याचिका में सुप्रीम कोर्ट से अपील पर निर्णय होने तक मामले में आगे की कार्यवाही को रोकने का आग्रह किया गया है।
साल 2017 में शहबाज शरीफ ने तत्कालीन विपक्षी नेता इमरान खान के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर किया था। खान पर प्रतिष्ठा और मानसिक स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाने वाले बयान देने का आरोप लगाया गया था। मुकदमे के अनुसार, ये निराधार और दुर्भावनापूर्ण बयान मीडिया में व्यापक रूप से प्रसारित किए गए। इससे शरीफ की सार्वजनिक छवि खराब हुई। उन्हें अत्यधिक मानसिक यातना, पीड़ा और चिंता के दौर से गुजरना पड़ा।
शरीफ की कानूनी टीम ने अदालत से मानहानि और बयानों से हुए नुकसान के लिए 10 अरब रुपये के मुआवजे की वसूली के लिए आदेश जारी करने की मांग की है। प्रधानमंत्री का तर्क है कि आरोप झूठे थे और इससे उनकी प्रतिष्ठा को काफी नुकसान पहुंचा। इस पर खान ने 2021 में एक जवाब दाखिल किया। इसमें दावा किया गया कि यह जानकारी उन्हें एक दोस्त ने दी थी, जिसे कथित तौर पर शरीफ परिवार के एक सदस्य ने पनामा मामले को आगे बढ़ाने से रोकने के लिए प्रस्ताव दिया था। इमरान खान ने कहा कि उन्होंने सार्वजनिक हित में घटना का खुलासा किया। उनके बयान में आरोप के किसी भी हिस्से में विशेष रूप से शहबाज शरीफ को जिम्मेदार नहीं ठहराया गया।
---------------
हिन्दुस्थान समाचार / मुकुंद