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नई दिल्ली, 2 जुलाई (हि.स.)। इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय (इग्नू) ने अपने संस्थापक कुलपति प्रो. जी. राम रेड्डी की स्मृति में 30वां स्मृति व्याख्यान आयोजित कर उनके शिक्षा क्षेत्र में अमूल्य योगदान को श्रद्धांजलि अर्पित की। यह अवसर केवल एक स्मरण नहीं, बल्कि आधुनिक शिक्षा व्यवस्था में उनके दृष्टिकोण की प्रासंगिकता पर पुनः विचार का मंच बना।
कार्यक्रम में नीति आयोग के उपाध्यक्ष सुमन बेरी ने मुख्य व्याख्यान प्रस्तुत किया। उन्होंने भविष्य के लिए तैयार कार्यबल का निर्माण: शिक्षा, कौशल और डिजिटल परिवर्तन विषय पर अपने विचार रखे। बेरी ने कहा कि आज जब दुनिया तीव्र डिजिटल बदलावों और तकनीकी नवाचारों से गुजर रही है, भारत को ऐसी शिक्षा व्यवस्था विकसित करनी होगी जो युवाओं, महिलाओं और असंगठित क्षेत्र के कामगारों को निरंतर सीखने और खुद को ढालने का अवसर दे। भारत का जनसांख्यिकीय लाभ एक बड़ी शक्ति है, पर उसे सशक्त करने के लिए उत्पादकता, समावेशन और नवाचार साथ चलने चाहिए।
उन्होंने प्रो. रेड्डी को शिक्षा के लोकतांत्रीकरण का अग्रदूत बताते हुए कहा कि उन्होंने भौगोलिक, सामाजिक और आर्थिक बाधाओं को तोड़ते हुए शिक्षा को हर व्यक्ति की पहुंच में लाने का कार्य किया। उनकी सोच आज भी उतनी ही प्रासंगिक है, जब हम भविष्य के भारत की परिकल्पना कर रहे हैं।
इग्नू की कुलपति प्रो. उमा कंजिलाल ने अध्यक्षीय संबोधन में प्रो. रेड्डी की दूरदर्शी सोच को याद किया। उन्होंने बताया कि कैसे इग्नू आज ऑनलाइन शिक्षण, बहुभाषी वीडियो व्याख्यान और तकनीक आधारित पहुंच के माध्यम से देशभर के विद्यार्थियों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दे रहा है। उन्होंने कहा कि प्रो. रेड्डी का उद्देश्य शिक्षा की बाधाओं को तोड़ना था और आज हम उसी मिशन को नई तकनीक के माध्यम से आगे बढ़ा रहे हैं।
कार्यक्रम के आरंभ में आयोजन समिति के अध्यक्ष और इग्नू के अंतरराष्ट्रीय प्रभाग के निदेशक प्रो. जितेंद्र श्रीवास्तव ने सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए प्रो. रेड्डी के योगदान को याद किया। इस अवसर पर प्रो. रेड्डी की धर्मपत्नी प्रमिला रेड्डी की उपस्थिति ने आयोजन को और भी भावुक और गरिमामय बना दिया।
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हिन्दुस्थान समाचार / सुशील कुमार