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देहरादून, 2 जुलाई (हि.स.)। कांग्रेस की मुख्य प्रवक्ता गरिमा मेहरा दसौनी ने उत्तराखंड में कांवड़ यात्रा के नाम पर दुकानदारों के लिए लाइसेंस और नाम उजागर करने की अनिवार्यता के भाजपा सरकार के निर्णय को न केवल भेदभावपूर्ण, बल्कि सामाजिक वैमनस्य फैलाने का प्रयास करार दिया। उन्हाेंने कहा कि इसकी इजाजत संविधान भी नहीं देता है।
बुधवार को कांग्रेस मुख्यालय में मीडिया से बातचीत में मेहरा दसौनी ने कहा कि मंत्री गणेश जोशी का बयान है कि “अगर मैं गणेश जोशी हूं, तो गणेश खान थोड़ी लिखूंगा”। यह बयान सीधे तौर पर एक सांप्रदायिक बयान है, जिसमें वर्ग विशेष को निशाना बनाया गया है, जिसकी कड़े शब्दों में निंदा की जानी चाहिए ।
दसौनी ने कहा कि भाजपा के मंत्री जिस भाषा और मानसिकता का प्रदर्शन कर रहे हैं, वह संविधान और उत्तराखंड की गंगा-जमुनी तहज़ीब के खिलाफ है। यह वही भाजपा है जो हर चुनाव से पहले सबका साथ, सबका विकास की बात करती है और सत्ता में आते ही नाम और खान के आधार पर जनता को बांटती है। गरिमा ने कहा की गणेश जोशी ने खाने में थूकने वाले प्रकरण का उदाहरण दिया तो ऐसे में जोशी बताएं कि यदि खाने में थूकना अपराध है, तो उनके विभाग में जो चल रहा है, वह किस श्रेणी में आता है?
उन्होंने कहा कि उत्तराखंड की जनता ने बड़े विश्वास के साथ जोशी को एक नहीं कई बार विधायक चुना लेकिन आज आय से अधिक संपत्ति मामले में जोशी के ऊपर विजिलेंस की तलवार लटक रही है, वहीं उद्यान घोटाले में करोड़ों की बंदर बांट हुई है। यह सीबीआई जांच में खुलासा हुआ है, तो ऐसे में जोशी बताएं कि वह कौन से पाक साफ है और उन्होंने क्यों अपनी जन्मभूमि और अपने ही प्रदेश के लोगों के साथ छल किया?
दसौनी ने कहा कि कानून व्यवस्था बनाए रखना सरकार की ज़िम्मेदारी है, न कि धार्मिक पहचान के आधार पर लोगों को चिन्हित करना। थूकने की वारदातों के नाम पर पूरे समुदाय को संदेह के घेरे में लाना न केवल ग़लत है, बल्कि समाज में अविश्वास और भय पैदा करने की साज़िश है।
गरिमा ने यह भी कहा कि भाजपा के जिन लोगों की दुष्कर्मों, भ्रष्टाचार में, भर्ती घोटालो में संलिप्तता है वह भी सब अल्पसंख्यक है क्या?
गरिमा ने कहा कि भाजपा सरकार अपने विकास के विफल रिकॉर्ड को ढकने के लिए इस तरह के सांप्रदायिक बयानों और फैसलों का सहारा ले रही है। दसौनी ने कहा कि मंत्री गणेश जोशी अपने विवादित और सांप्रदायिक बयान पर तत्काल माफी मांगें।
सरकार ने जो कांवड़ यात्रा के लिए निर्णय लिया वो नीतिगत फैसला है उसको समाज में नफरत फैलाने का राज्य का सौहार्द बिगाड़ने का हथियार न बनाया जाय। गरिमा ने राज्य सरकार से भी अपेक्षा करी कि कांवड़ यात्रा को धार्मिक श्रद्धा का विषय रहने दें, उसे राजनीतिक द्वेष और पहचान की साजिश में न घसीटा जाए।
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हिन्दुस्थान समाचार / विनोद पोखरियाल