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रांची, 2 जुलाई (हि.स.)। जगन्नाथपुर रथ मेले में बुधवार को एक अनूठा दृश्य देखने को मिला। जब भगवान जगन्नाथ के रथ का पहिया टूट गया। और नाराजगी प्रेम का प्रतीक बन गया। दरअसल यह वही पारंपरिक रस्म है जिसमें माता लक्ष्मी, भगवान को मौसी के घर अकेले जाते देख नाराज होकर रथ के पहिए को तोड़ देती हैं। श्रद्धालु इस रस्म को न सिर्फ नाराजगी, बल्कि प्रेम और अधिकार की अभिव्यक्ति के रूप में देखते हैं।
इस प्रतीकात्मक अनुष्ठान में महावीर लोहार और लालजीत उरांव ने माता लक्ष्मी की ओर से रथ के पहिए को विधिवत तोड़ा। जैसे ही रथ का पहिया गिरा, पूरा मेला परिसर जय जगन्नाथ के जयघोष से गूंज उठा। सबों ने कहा भगवान जगन्नाथ की जय, सुभद्रा बहन की जय जय बलभद्र।
जानकारी के अनुसार इसी दिन से जगन्नाथ महोत्सव का शुभारंभ भी हुआ। मेले के विभिन्न मंच पर आयोजित लोक नृत्य, झारखंडी गीत, और सांस्कृतिक प्रस्तुतियों ने मेले को उल्लासमय बना दिया। मेले में लगी दुकानों, झूलों, तीर-धनुष और बांस की चूड़ियों ने बच्चों से लेकर बड़ों तक सभी को आकर्षित किया।
भक्ति, परंपरा और लोकआस्था के इस रंगारंग संगम में रथ पंचमी की यह रस्म, श्रद्धा और प्रेम का अनुपम संदेश बनकर श्रद्धालुओं के सामने उभरा।
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हिन्दुस्थान समाचार / Manoj Kumar