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भागलपुर, 18 जुलाई (हि.स.)। सावन का पावन महीना शुरू होते ही देवों के देव महादेव की नगरी देवघर जाने वालों कांवरियों का सैलाब उत्तरवाहिनी गंगा तट सुल्तानगंज में उमड़ पड़ा है, यहां श्रद्धा, भक्ति और आस्था का अद्भुत संगम देखने को मिल रहा है। इस बार एक खास आकर्षण बना है हावड़ा (पश्चिम बंगाल) से आए युवाओं का एक दल, जो अनोखी और भारी-भरकम कांवर लेकर बाबा बैद्यनाथ के दर्शन को रवाना हुए हैं। करीब 40 युवकों की इस टीम ने जो कांवर तैयार किया है, वह सामान्य नहीं बल्कि अत्यंत अद्वितीय और श्रद्धा से भरी हुई है। इस कांवर पर भारत के चार प्रमुख तीर्थस्थलों बद्रीनाथ, द्वारका, रामेश्वरम और जगन्नाथ पुरी के मंदिरों की खूबसूरत आकृतियाँ सजाई गई हैं। इस विशेष कांवर का वजन लगभग 150 से 200 किलोग्राम है, जिसे भक्तजन मिलकर कंधों पर उठाकर सुल्तानगंज से देवघर तक की पैदल यात्रा कर रहे हैं।
श्रद्धालुओं का कहना है कि वे हर साल अलग-अलग थीम पर कांवर तैयार करते हैं। इस वर्ष उन्होंने चार धाम की झांकी को अपनी कांवर में उतारने का निश्चय किया, ताकि बाबा भोलेनाथ को सभी तीर्थों का संदेश एक साथ अर्पित किया जा सके। इनका मानना है कि यह भक्ति का सबसे सुंदर तरीका है। पूरा दल ‘हर हर महादेव’ और ‘बोल बम’ के जयघोष के साथ उत्साहपूर्वक आगे बढ़ रहा है। रास्ते में लोग इनकी भव्य कांवडर को देखकर आश्चर्यचकित हो रहे हैं और भक्ति में डूब रहे हैं। यह यात्रा न केवल भक्ति का प्रतीक है, बल्कि यह संदेश भी देती है कि परंपरा में नवीनता कैसे लाई जा सकती है। इन श्रद्धालुओं ने यह सिद्ध कर दिया है कि आस्था में अगर रचनात्मकता जुड़ जाए तो भक्ति और भी अनुपम हो जाती है।
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हिन्दुस्थान समाचार / बिजय शंकर