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खूंटी, 17 जुलाई (हि.स.)। अपने प्राकृतिक सौंदर्य के लिए विख्यात खूंटी जिला प्राचीन धार्मिक धरोहरों के कारण अपनी एक अलग पहचान रखता है। यहां आम्रेश्वर धाम, माता नकटी देवी, माता सोनमेर मंदिर, पाट पहाड़ वाले महादेव, बुढ़वा महादेव, बुचा महादेव, बाबा नागेश्वर धाम, सिड़िंग महोदव, जैसे कई पुरातन प्राकृतिक धार्मिक स्थल हैं।
खूंटी जिले में बाबा भोलेनाथ हिंदू और सरना दोनों धर्मावलंबियों में समान रूप से पूजे जाते हैं। यही कारण है कि यहां पर पहाड़-पर्वत, नदी और पेड़ो के ऊपर भी शिवलिंग के दर्शन हो जाते है। इन्हीं शिव स्थलों में तोरपा प्रखंड के जरिया महादेव टोली गांव स्थित पीपल के एक पेड़ पर विराजमान शिवलिंग श्रद्धालुओं के लिए आस्था और आश्चर्य का केंद्र बना हुआ है। इस गांव में इतने अधिक शिावलिंग हैं कि इस गांव का नामकरण ही महादेव टोली हो गया। आज भी पुरातात्विक महत्व के कई शिवलिंग, विभिन्न देवी-देवताओं की प्रस्तर की मूर्तियां और सुदर्शन चक्र, रथ के पहिये उपेक्षित पड़े हैं।
होती है शिवरात्रि और मंडा पूजा
सावन के महीने के अलावा यहां शिवरात्रि और मंडा पूजा का भी आयोजन होता है। पीपल पेड़ पर विराजमान शिवलिंग की पूजा करने कें लिए लोगों को पेड़ पर लगभग 25-30 मीटर ऊपर चढ़ना पड़ता है। इसलिए सक्षम लोग ही वहां पहुंच पाते हैं, अन्यथा लोग नीचे ही उनका ध्यान करते हैं। महादेव टोली मंदिर के पुजारी लक्ष्मी नारायण चौबे और मंदिर प्रबंध समिति के सचिव बाल गोविंद महतो बताते हैं कि पहले जब पीपल का पेड़ छोटा था, उसी समय से वहां शिवलिंग विराजमान हैं। जैसे-जैस पेड़ बड़ा होता गया, बाबा भोनाथ भी ऊंचाई पर चढ़ते गयेे। काफीं ऊंचाई में होने के कारण नवयुवक-युवती ही पेड़ पर चढ़कर पूजा-अर्चना कर पाते हैं।
खुदाई में मिले थे दर्जनों शिवलिंग
मंदिर के पुजारी लक्ष्मी नाराययण चौबे वहां के पुजारी हैं। उन्होंने बताया कि पिछले सैकड़ों वर्षों से उनका परिवार पीढ़ी दर पीढ़ी यहां भोलेनाथ की पूजा-करते आ रहे हैं। यहां के शिवलिंग कितने प्राचीन हैं, इसकी जानकारी उन्हें तो नहीं, है, लेकिन वे कहते हैं कि खुदाई कें दौरान ही वहां दर्जनों शिवलिंग मिले थे। इनमें कुछ शिवलिंग को अन्य गांवों के लोग ले गये, लेकिन अब भी वहां आठ-दस शिवलिंग हैं। हाल ही में वहां एक मंदिर का निर्माण कराया जा रहा है। उन्होंने बताया कि पहले गांव के लोगों ने एक शिवलिंग देखा। इसे देखकर ग्रामीणों ने वहां खुदाई की, तो दर्जनो, शिवलिंग, विभिन्न देवी-देवताओं की मूर्तियां और अन्य अवशेष मिले। कितने वर्ष पहले खुदाई हुई, इसकी जानकारी तो नहीं है, पर गांव वाले बताते हैं कि खुदाई कम से कम 100 साल पहले हुई होगी। पुजारी बताते हैं कि पहले महादेव टोली में काफी भीड़ रहती थी। शिवरात्रि कें दिन बहुत बड़ा मेला लगता था। पहले जनजाति समुदाय के काफी लोग पूजा-अर्चना करने आते थे, लेकिन अब उनकी संख्या घटती जा रही है। पुजारी बताते हैं कि जरिया के जमींदार दुबराज सिंह का पूर्वज सन् 1446 से वहां पूजा का आयोजन कराते आ रहे हैं।
ग्रामीणों की संरक्षण और विकास की मांग
जरिया महादेवटोली के लोगों ने सरकार और प्रशासन से मांग की है। लोगों का कहना है कि महादेव टोली का यह स्थान पुरातात्विक महत्व का है। सरकार इसे संरक्षित करे और सड़क निर्माण सहित अन्य विकास योजनाओं का लागू करे।
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हिन्दुस्थान समाचार / अनिल मिश्रा