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डूंगरपुर, 17 जुलाई (हि.स.)। भील प्रदेश की मांग को लेकर जारी राजनीतिक गतिविधियों के बीच भाजपा डूंगरपुर विधानसभा प्रत्याशी रहे बंशीलाल कटारा ने भारत आदिवासी पार्टी (बीएपी) के सांसद राजकुमार रोत पर तीखा हमला बोला है। कटारा ने आरोप लगाया कि सांसद रोत ने भील प्रदेश का नक्शा जारी कर वागड़ क्षेत्र की शांति और सामाजिक समरसता को बिगाड़ने का प्रयास किया है।
कटारा ने कहा कि बीएपी सांसद मानगढ़ धाम पर शहादत दिवस के नाम पर गुरुवार को बड़ी रैली का आयोजन कर रहे हैं, जिसमें वे भील प्रदेश की मांग को दोहराने वाले हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि राजकुमार रोत ने पहले चिंतन शिविर और जागरण के माध्यम से जन भावनाओं को उकसाया और फिर बीटीपी से अलग होकर नई पार्टी बनाई, जिससे राजनीतिक लाभ उठाया जा सके।
भाजपा नेता ने बीएपी पर जातिवाद की राजनीति करने का आरोप लगाते हुए कहा कि यह पार्टी नहीं चाहती कि क्षेत्र में कानून व्यवस्था सुदृढ़ हो या विकास कार्य तेजी से हों। उन्होंने कहा कि यह वही मानसिकता है जो जयकृष्ण पटेल के भ्रष्टाचार में भी देखने को मिली थी। कटारा ने आरोप लगाया कि बीएपी युवाओं को गुमराह कर रही है, और विकास विरोधी मानसिकता के तहत यहां रोजगार, उद्योग और शैक्षणिक सुविधाओं को बढ़ावा देने के प्रयासों में बाधा उत्पन्न कर रही है।
उन्होंने कहा कि संविधान और कानून के दायरे में आदिवासियों को जो अधिकार मिले हैं, उन्हें कमजोर करने की कोशिश की जा रही है। सरकार द्वारा अस्पताल, विद्यालय, हॉस्टल, सड़क और अन्य मूलभूत सुविधाएं लगातार उपलब्ध कराई जा रही हैं, लेकिन बीएपी इसका विरोध कर संविधान के खिलाफ माहौल बनाने की कोशिश कर रही है।
कटारा ने कहा कि यदि भील प्रदेश जैसी मांगों से राष्ट्रविरोधी बातें सामने आती हैं, तो ऐसे आयोजनों पर कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिए। उन्होंने आरोप लगाया कि बीएपी का यह अभियान अंग्रेजी औपनिवेशिक नीति जैसी रणनीति का अनुसरण कर रहा है, जिसमें ईसाई मिशनरियों का एजेंडा छिपा है। उन्होंने कहा कि राजकुमार रोत की पार्टी आदिवासियों को बरगलाने का प्रयास कर रही है और जल, जंगल, जमीन पर उनके अधिकारों को छीनने की योजना बना रही है।
भाजपा नेता ने यह भी कहा कि बीएपी नेताओं का उद्देश्य केवल अपना व्यक्तिगत राजनीतिक और आर्थिक विकास करना है, न कि आम आदिवासियों की भलाई। उन्होंने दावा किया कि बीएपी नेताओं की जीवनशैली में तेजी से बदलाव आया है, जबकि आम आदिवासी आज भी मूलभूत सुविधाओं से जूझ रहे हैं।
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हिन्दुस्थान समाचार / संतोष