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मंडी, 16 जुलाई (हि.स.)। तीस जून की रात को मंडी जिले में बादल फटने से सराज, नाचन, करसोग व धर्मपुर में आई अभूतपूर्व आपदा में बह गए लोगों में से 27 अभी भी लापता हैं जबकि 15 लोगों के ही शव अभी तक मिल पाए हैं। हालांकि हिंदु परंपराओं को मानते हुए इन लापता लोगों के परिजनों ने यह मान लिया है कि उनके ये लापता परिजन अब इस दुनिया में नहीं हैं ऐसे में 13 दिन तक चलने वाली अंतिम सभी किरया कर्म व संस्कार पूरे कर दिए गए।
सरकार व प्रशासन अब इन लापता लोगों को कब मृतक मानेगा यह बड़ा सवाल है। नियमानुसार जब तक किसी की लाश नहीं मिल जाती तब तक उसका मृत्यु प्रमाणपत्र जारी नहीं किया जाता है और एक अवधि तक इसका इंतजार किया जाता है। जिस तरह के हालात मौके पर इस कुदरती विध्वंस के नजर आ रहे हैं उसे परिजन यह मान चुके हैं कि उनके लापता परिजन अब इस दुनिया में नहीं है। मृतक के परिजनों को राहत राशि उसी स्थिति में दी जाती है जब मृत्यु प्रमाणपत्र जारी हो। इसके बावजूद भी प्रशासन ने अब तलाशी अभियान बंद नहीं किया है। एनडीआरएफ व एसडीआरएफ की टीमें मौके पर तलाशी अभियान चलाए हुए हैं जबकि सेना ने वापसी कर ली है।
अतिरिक्त जिला दंडाधिकारी डॉ मदन कुमार ने बताया कि तलाशी अभियान अभी खत्म नहीं हुआ है। तलाशी में जुटी टीमें अभी मौके पर हैं। जहां तक सेना कि बात है तो उसके जवान वापस हो गए हैं मगर यदि जरूरत महसूस होती है तो उन्हें पंडोह स्थित ट्रांजिट कैंप से कभी बुलाया जा सकता है।
इधर, अभी तक मंडी जिले में 30 जून की आधी रात को बरसी आफत में मरने वालों जिनके शव बरामद हो चुके हैं कि संख्या 15 तथा लापता लोगों को आंकड़ा 27 है। अंतिम शव 8 जुलाई को ही करसोग के एक युवक का मिला था। उसके बाद 9 दिन के तलाशी अभियान में अभी तक कोई और शव नहीं मिल पाया है। इसके बावजूद भी कुछ जगहों पर यह तलाशी अभियान जारी है ताकि मलबे में कोई मिल सके।
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हिन्दुस्थान समाचार / मुरारी शर्मा