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गांधीनगर, 16 जुलाई (हि.स.)। हर वर्ष 16 जुलाई को ‘विश्व सर्प दिवस’ मनाया जाता है, ताकि लोगों को सांपों के पारिस्थितिकीय महत्त्व और उनके संरक्षण की आवश्यकता के बारे में जागरूक किया जा सके। ये जीव पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
गुजरात: सांपों की विविधता और संरक्षण का केंद्र
गुजरात राज्य में लगभग 50 से अधिक प्रजातियों के सांप पाए जाते हैं। इनमें से कुछ विषैले होते हैं, जैसे- नाग (इंडियन कोबरा), करैत (कॉमन क्रेट), फुरसे (रसेल वाइपर) और घोणस (सॉ-स्केल्ड वाइपर)। वहीं गैर-विषैले प्रजातियों में अजगर, धामन, भंभोड़ी और आंधली चाकल प्रमुख हैं।
गांधीनगर स्थित इंद्रोड़ा नेचर पार्क और जूनागढ़ के सक्करबाग चिड़ियाघर में इन विषैले एवं गैर-विषैले सांपों के प्रति जागरूकता फैलाने हेतु सर्पगृह विकसित किए गए हैं, जहाँ हजारों आगंतुकों को इनकी जानकारी दी जाती है।
सर्पदंश से सुरक्षा: एंटी-वेनम और चिकित्सा सुविधा
राज्य के सभी सरकारी अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों में पर्याप्त मात्रा में एंटी-वेनम उपलब्ध हैं। वलसाड जिले के धरमपुर स्थित स्नेक रिसर्च सेंटर में सर्पविष से दवाएं तैयार की जा रही हैं, जो हृदय रोग, उच्च रक्तचाप और कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों के उपचार में सहायक हैं।
सांपों की सुरक्षा: रेस्क्यू और प्रशिक्षण
वन विभाग की सक्रियता से अहमदाबाद शहरी क्षेत्र में पिछले एक वर्ष (1 जुलाई 2024 से 30 जून 2025) के दौरान 492 सांपों को सुरक्षित रेस्क्यू कर प्राकृतिक आवास में छोड़ा गया है। इसके अतिरिक्त, सांप पकड़ने के लिए विधिवत प्रशिक्षण और प्रमाणपत्र की व्यवस्था भी की गई है, जिससे असामयिक मार या भय के बजाय सही तरीके से उन्हें बचाया जा सके।
सेवाभावी संस्थाओं का सराहनीय योगदान
गुजरात में कई स्वयंसेवी संस्थाएं भी सर्प संरक्षण की दिशा में निःस्वार्थ सेवा दे रही हैं। वन विभाग के सहयोग से ये संस्थाएं जनजागरूकता अभियान, रेस्क्यू कार्य और प्रशिक्षण कार्यक्रम चला रही हैं।
क्या करें:
-सांप दिखे तो घबराएं नहीं, शांत रहें और दूरी बनाए रखें
-वन विभाग की हेल्पलाइन 1926 पर तत्काल संपर्क करें
-सर्पदंश की स्थिति में पीड़ित अंग को स्थिर रखें
-तुरंत अस्पताल जाकर इलाज कराएं
क्या न करें:
-सांप को छेड़ें या मारने की कोशिश न करें
-डंक लगे स्थान को काटने या चूसने का प्रयास न करें
-झाड़-फूंक या घरेलू नुस्खों पर भरोसा न करें
-सांप को पकड़ना या मारना वन्य जीव संरक्षण अधिनियम, 1972 के तहत दंडनीय अपराध है।
इस विश्व सर्प दिवस पर हम सभी का कर्तव्य बनता है कि हम इस अद्भुत प्राणी के बारे में भ्रांतियों को दूर करें, उनके संरक्षण हेतु सही जानकारी फैलाएं और प्राकृतिक संतुलन बनाए रखने की दिशा में अपना योगदान दें।
हिन्दुस्थान समाचार / Abhishek Barad