सिकलसेल प्रबंधन पर कार्यशाला: चिकित्सकों ने बताए रोग की पहचान और रोकथाम के उपाय
कार्यशाला में शामिल हुए ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्र की मितानिन, समन्वयक व अन्य
सिकलसेल प्रबंधन पर आयोजित कार्यशाला में उपस्थित ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्र की मितानिन, समन्वयक व अन्य।


धमतरी, 16 जुलाई (हि.स.)। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय के बैठक कक्ष में बुधवार को सिकलसेल प्रबंधन पर कार्यशाला आयोजित की गई। सीएमएचओ डाॅ यूएल कौशिक ने बताया कि सिकलसेल से धमतरी जिला भी प्रभावित है। देश में एक जुलाई को राष्ट्रीय सिकलसेल एनिमिया उन्मूलन मिशन देश में शुरू किया गया था। सिकल सेल रोग के पहचान निदान एवं रोकथाम के संबंध में लगातार जन-जागरुकता कार्यक्रम को रहे हैं।

जानकारी के अनुसार सिकलसेल रोगियों को प्रेरित करने, सिकल सेल संबंधित प्रारंभिक जांच आदि के लिए ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में सभी मितानिन, समन्वयकों का सिकलसेल प्रबंधन कार्यशाला आयोजित किया गया। इस कार्यशाला में राज्य से प्रशिक्षक के रूप में विश्व स्वास्थ्य संगठन के हेल्थ सिस्टम अधिकारी डाॅ उरिया नाग, डाॅ उर्विन शाहा एवं एनसीडी अधिकारी टाटा ग्रुप संगठन सेंभूपेन्द्र रावत ने प्रशिक्षण दिया। सभी व्यक्तियों की सिकल सेल, स्क्रीनिंग किए गए। इस कार्यशाला में जिले के मितानिन, स्वास्थ्य कार्यकर्ता आदि लगभग 50 लोग मौजूद रहे। इसके साथ ही जिला कार्यक्रम प्रबंधक डा प्रिया कंवर, जिला आई डीएसपी एवं मलेरिया अधिकारी डाॅ आदित्य सिन्हा, जिला एनसीडी समन्वयक डाॅ श्रीकात चंद्राकर रहे।

विवाह पूर्व परामर्श आवश्यक

कार्यशाला में सभी व्यक्तियों को सिकल सेल जेनेटिक कार्ड प्रदाय करना, सिकलसेल प्रबंधन में आम जनमानस व समुदाय को सक्षम करना, विवाह पूर्व परामर्श करने से संबंधित जागरूकता समाज में लाना, मरीज सपोर्ट ग्रुप बनाना मुख्य उद्देश्य है। मरीज सपोर्ट ग्रुप में स्थानीय मितानीन, स्वास्थ्य कार्यकर्ता एवं मरीज या परिवार के लोग शामिल होते हैं। यह सपोर्ट ग्रुप के सदस्य मरीज अपने अनुभव एक दूसरे को शेयर करते हैं और सिकलसेल एवं गैर संचारी रोग के तहत् हाई बीपी, शुगर, मानसिक रोग के प्रबंधन पर विचार करते हैं।

चिकित्सकों ने कहा सांप काटे तो झाड़-फूंक से बचें

कार्यशाला के दौरान आईडीएसपी जिला नोडल अधिकारी द्वारा बरसात के मौसम में जहरीले कीट, सांप, बिच्छू से बचाव एवं काटे जाने पर तत्काल स्वास्थ्य केंद्र अस्पताल में उपचार कराये जाने और जड़ी-बूटी, झाड़-फूंक आदि से बचने तथा सांप के काटे जाने के तुरंत बाद अस्पताल पहुंचने पर एंटी स्नेक वैनम से मरीज को बचाया जा सकने की जानकारी दी गई।

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हिन्दुस्थान समाचार / रोशन सिन्हा