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रांची, 16 जुलाई (हि.स.)। झारखंड अंगीभूत महाविद्यालय अनुबंध शिक्षकेत्तर कर्मचारी मोर्चा का बुधवार को राजभवन के समक्ष धरना प्रदर्शन 100 वें दिन भी जारी रहा। मौके पर मोर्चा के जय मसीह तिग्गा ने कहा कि बगल में ही राज्यपाल, रांची यूनिवर्सिटी के कुलपति सहित अन्य गणमान्य मौजूद हैं, लेकिन किसी का ध्यान हमारी समस्या की ओर नहीं जा रहा।
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार की ओर से सत्ता में आने से पहले आदिवासी मूलवासियों को सम्मान दिलाने की बातें कही गई थी। लेकिन अब यहां के खतियान धारकों को बेरोजगार बना दिया गया है कि हमें विवश होकर फुटपाथ पर बैठना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि शिक्षकेत्तर कर्मियों पर हेमंत सरकार का कोई ध्यान नहीं है।
मौके पर मोर्चा के संयोजक रवि कुमार ने कहा कि 100 दिन से अधिक दिन हो चुके हैं,लेकिन इस दौरान न ही विश्वविद्यालय, राजभवन या राज्य सरकार किसी ने हमारी सुधी नहीं ली। उन्होंने कहा कि सभी कर्मियों के समक्ष भुखमरी की स्थिति है। विश्वविद्यालय कर्मियों की ओर से लगातार बातें रखी जा रही हैं, लेकिन सिर्फ गोल-मटोल जवाब दिया जा रहा है।
उन्होंने बताया कि नया एजुकेशन पॉलिसी के तहत हमें नौकरी से निकालने की बातें कही गई। हमें कहा जाता है कि इंटरमीडिएट का काम करते थे। लेकिन अब इंटरमीडिएट की पढ़ाई समाप्त हो गई तो आप स्वयं नौकरी छोड़ दें।
मौके पर मनीष गोप ने कहा कि बीते 23 मार्च से हम सभी काम पर नहीं नहीं जा रहे हैं। इसके बाद से हम सभी धरना देने को विवश हुये हैं। हमें वापस नौकरी पर रखने का आश्वासन दिया जा है, लेकिन ताल-मटोल किया जा रहा है।
नौकरी से निकालने के बाद हम सभी ने बूट पॉलिश से लेकर पकौड़े तलने तक का काम किया। बावजूद इसके सरकार का हमारी तरफ कोई ध्यान नहीं है। अब लगता है की हम सभी को विवश होकर आत्मदाह करना होगा।
मौके पर सुनीता कुमारी, मनीष, जोसेफ आइंद सहित राज्यभर से आए दर्जनों शिक्षकेत्तर कर्मचारी मौजूद थे।
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हिन्दुस्थान समाचार / Manoj Kumar