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नरसिंहपुर, 16 जुलाई (हि.स.)। सरकार के स्पष्ट निर्देश है कि शासकीय भूमि पर और निजी भूमि पर फलदार वृक्षों की कटाई किसी प्रकार से न हो और न ही इन्हें नुकसान पहुंचाया जाए, क्योंकि फलदार वृक्षों पर पशु पक्षियों का आश्रय स्थल होता है। फलदार वृक्षों को विशेष स्थिति के दौरान फलदार वृक्षों की कटाई-छटाई की जा सकती है, लेकिन इन्ळें काटा न जाए । वैसे भी फलदार वृक्षों का पौधारोपण एक पेड़ मां के नाम से पौधारोपण किया जा रहा है ।
किन्तु इन सभी के उलट एक ऐसा ही मामला सामने आया है।
पर्यावरण पशु प्रेमी और पक्षी पशु पक्षियों की सुरक्षा और सेवा में लगे हुए पर्यावरण प्रेमी ग्राम सिहोरा में की जाने वाली जनसुनवाई के बाद अपने निवास करेली आ रहे थे तभी राष्ट्रीय राजमार्ग 44 के पास फलदार आमों के वृक्ष जिसको सुनयोजित तरीके से आरा मशीन से काटकर ट्रैक्टर-ट्राली में भरकर लिए जा रहे थे। जब इन्हें रोकने की कोशिश की गई तो उल्टा गाली गलोच करने पर उतारू हो गए।
इस बारे में जब बन अधिकारी को सूचना दी गई तो अधिकारी कहने लगे कि मेरे पास स्टाफ नहीं है। तब रेंजर ने कहा कि वन विभाग करेली के कर्मचारियों को पहुंचा रहा हूं, वन अधिकारी के द्वारा जो बन कर्मचारी पहुंचाये गए थे वह शाम को 6 बजे के लगभग घटना स्थल पर पहुंचे जो 3 किलोमीटर की दूरी उन्होंने मोटर साइकल से एक घंटा लगा दिया तब तक वन माफिया वहां से भाग चुके थे। कुलमिलाकर विभाग को शिकायत मिलते के बाद भी जानबूझकर लापरवाही की जाती है। जिन अधिकारियों एवं कर्मचारियों को सुरक्षा का दायित्व सौंपा गया है, आज वही मूकदर्शक बने हुए हैं।
हिन्दुस्थान समाचार / भागीरथ तिवारी