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जगदलपुर, 16 जुलाई (हि.स.)। बस्तर आईजी सुंदरराज पट्टलिंगम ने बुधवार काे पत्रकाराें से चर्चा में कहा कि नक्सलियाें ने यह स्वीकार किया है कि बीते एक वर्ष में देशभर में हुई विभिन्न मुठभेड़ों में 357 नक्सली मारे गए हैं। मारे गए 357 नक्सलियों में से 136 महिलाएं थीं, जो यह दर्शाता है कि नक्सली नेतृत्व ने महिलाओं को सुरक्षा बलों पर हमलों के दौरान मानव ढाल के रूप में इस्तेमाल किया है।
उन्होंने कहा कि मारे गए नक्सलियों में चार केंद्रीय समिति (सीसी) सदस्य और 15 राज्य समिति स्तर के नेता शामिल हैं, जो संगठन के शीर्ष कैडर के नुकसान काे दर्शाता है। वहीं विशेष रूप से नक्सली संगठन को दंडकारण्य क्षेत्र, जो बस्तर रेंज के जिलों और महाराष्ट्र के गढ़चिरौली जिले में फैला है, में सबसे अधिक क्षति हुई है, जहां पिछले एक वर्ष में 281 नक्सली मारे गए हैं। उन्हाेंने कहा कि उक्त तथ्य सीपीआई (माओवादी) द्वारा जारी 22 पृष्ठों की एक पुस्तिका में सामने आए हैं, जिसमें नक्सली कैडर को हुई भारी क्षति की पुष्टि की गई है और इसका कारण सतत नक्सल विरोधी अभियानों और आम जनता में बढ़ते विरोध को बताया गया है।
बस्तर आईजी सुंदरराज पट्टलिंगम ने कहा कि सुरक्षा बलों के निरंतर प्रयासों और स्थानीय समुदायों के बढ़ते सहयोग ने नक्सलियों को उनके सबसे कमजोर चरण में पहुंचा दिया है। वरिष्ठ नेतृत्व और सक्रिय कैडर की क्षति ने उनके संगठनात्मक ढांचे को गंभीर रूप से कमजोर बना दिया है। हमारे सुरक्षा बलों की प्रतिबद्धता अडिग है, यह केवल एक सुरक्षा अभियान नहीं, बल्कि शांति बहाली, विकास सुनिश्चित करने और आदिवासी समुदायों को नक्सली हिंसा और शोषण से बचाने का संकल्प है। उन्हाेने कहा कि बस्तर क्षेत्र में तैनात पुलिस और सुरक्षा बल कठिन भौगोलिक परिस्थितियों और प्रतिकूल मौसम के बावजूद पूरी निष्ठा और समर्पण के साथ कार्य कर रहे हैं। भारत सरकार और छत्तीसगढ़ सरकार की मंशा के अनुरूप, सुरक्षा बल जनहितकारी और विकास-केन्द्रित रणनीति अपना रहे हैं। यह रणनीति सूचना आधारित अभियानों के साथ मिलकर हालिया समय में उल्लेखनीय सफलता ला रही है और बस्तर क्षेत्र में स्थायी शांति के लिए अनुकूल वातावरण तैयार कर रही है।
बस्तर आईजी सुंदरराज ने पुन: सक्रिय नक्सली कैडरों से हिंसा का रास्ता छोड़ने और समाज की मुख्यधारा में लौटने की अपील करते हुए कहा कि माओवाद छोड़ने वालों के लिए सरकार द्वारा चलाई जा रही पुनर्वास नीति का लाभ उठाकर वे सम्मानजनक जीवन जी सकते हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि हिंसा का रास्ता अब तक सिर्फ पीड़ा और विनाश लेकर आया है, और अब वक्त आ गया है कि सक्रिय नक्सली कैडर सही फैसला लें, अपने परिवारों से फिर जुड़ें, शांति के साथ जीवन बिताएं और बस्तर के विकास में भागीदार बनें।
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हिन्दुस्थान समाचार / राकेश पांडे