सीरिया में ड्रूज समुदाय और सरकार के बीच नया संघर्षविराम घोषित, इजराइली हस्तक्षेप के बाद उठाया गया कदम
दमिश्क, 16 जुलाई (हि.स.)। सीरियाई सरकार और देश के प्रमुख धार्मिक अल्पसंख्यक समुदाय ड्रूज के नेताओं ने बुधवार को एक नया संघर्षविराम घोषित किया है। यह कदम दक्षिण सीरिया में कई दिनों तक चले खूनी संघर्ष और इजराइल द्वारा दमिश्क पर किए गए हवाई हमलों के बाद
सीरिया में ड्रूज समुदाय और सरकार के बीच नया संघर्षविराम घोषित, इजराइली हस्तक्षेप के बाद उठाया गया कदम


दमिश्क, 16 जुलाई (हि.स.)। सीरियाई सरकार और देश के प्रमुख धार्मिक अल्पसंख्यक समुदाय ड्रूज के नेताओं ने बुधवार को एक नया संघर्षविराम घोषित किया है। यह कदम दक्षिण सीरिया में कई दिनों तक चले खूनी संघर्ष और इजराइल द्वारा दमिश्क पर किए गए हवाई हमलों के बाद उठाया गया है।

सीरियाई गृह मंत्रालय द्वारा इस संघर्षविराम की घोषणा की गई। वहीं एक वरिष्ठ ड्रूज धार्मिक नेता द्वारा भी वीडियो संदेश में इसकी पुष्टि की गई। हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि यह नया समझौता पहले की तरह जल्द ही टूट जाएगा या प्रभावी रहेगा।

ड्रूज़ समुदाय के प्रमुख धर्मगुरु शेख हिकमत अल-हिजरी ने इस संघर्षविराम से खुद को अलग कर लिया है, जिससे इसकी वैधता और दीर्घकालिकता पर सवाल उठ खड़े हुए हैं।

संघर्ष की शुरुआत दक्षिणी प्रांत में स्थानीय सुन्नी बदूइन जनजातियों और ड्रूज सशस्त्र गुटों के बीच अपहरण और हमलों की श्रृंखला से हुई थी। जब सरकार ने शांति बहाल करने के लिए हस्तक्षेप किया, तो उसे ड्रूज़ लड़ाकों से भिड़ना पड़ा।

इजराइल ने हालिया हिंसा के बीच दमिश्क के केंद्र में दुर्लभ और आक्रामक हवाई हमले किए। उसने इन हमलों को ड्रूज समुदाय की सुरक्षा और इस्लामी उग्रवादियों को सीमाओं से दूर रखने की रणनीति बताया।

गौरतलब है कि ड्रूज समुदाय सीरिया और इजराइल दोनों में एक महत्वपूर्ण संख्या में मौजूद है और इजराइल में उन्हें एक वफादार अल्पसंख्यक माना जाता है, जिनमें से कई सेना में भी सेवा करते हैं।

यह ताजा संकट बशर अल-असद के सत्ता से हटने और देश में इस्लामी विद्रोहियों द्वारा दिसंबर में स्थापित नए राजनीतिक नेतृत्व के लिए अब तक की सबसे बड़ी चुनौती के रूप में देखा जा रहा है। हालांकि देश की नई सत्ता संरचना मुख्य रूप से सुन्नी मुस्लिम नेतृत्व के अधीन है, लेकिन अल्पसंख्यक समुदायों विशेष रूप से अलवी (असद का समुदाय) और ड्रूज के बीच असंतोष और अविश्वास लगातार बढ़ता जा रहा है।

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हिन्दुस्थान समाचार / आकाश कुमार राय