शुभेंदु अधिकारी ने सत्यजित रे के पैतृक घर को संग्रहालय में बदलने की केंद्र की पहल का स्वागत किया
कोलकाता, 16 जुलाई (हि. स.)। पश्चिम बंगाल विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष और भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता शुभेंदु अधिकारी ने प्रसिद्ध फिल्मकार सत्यजित रे के बांग्लादेश स्थित पैतृक घर के पुनर्निर्माण और संरक्षण को लेकर केंद्र सरकार की बांग्लादेश सरकार
शुभेंदु अधिकारी


कोलकाता, 16 जुलाई (हि. स.)। पश्चिम बंगाल विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष और भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता शुभेंदु अधिकारी ने प्रसिद्ध फिल्मकार सत्यजित रे के बांग्लादेश स्थित पैतृक घर के पुनर्निर्माण और संरक्षण को लेकर केंद्र सरकार की बांग्लादेश सरकार के साथ मिलकर कार्य करने की प्रस्तावित योजना का स्वागत किया है। उन्होंने इस दिशा में पहल के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार जताया।

शुभेंदु अधिकारी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के इस दूरदर्शी कदम के लिए मैं गहरी कृतज्ञता और प्रशंसा व्यक्त करता हूं। भारत सरकार द्वारा बांग्लादेश के माइमनसिंह ज़िले में स्थित सत्यजित रे के पैतृक आवास के संरक्षण और पुनर्निर्माण के लिए बांग्लादेश सरकार के साथ सहयोग का प्रस्ताव, उस घर को साहित्य संग्रहालय और भारत-बांग्लादेश की साझा सांस्कृतिक विरासत के प्रतीक के रूप में बदलने की दृष्टि से, अत्यंत सराहनीय पहल है।

गौरतलब है कि यह भवन सत्यजित रे के दादा, प्रसिद्ध बाल साहित्यकार और प्रकाशक उपेंद्रकिशोर राय चौधुरी का था। रिपोर्ट्स के अनुसार, बांग्लादेश में यह ऐतिहासिक भवन अब जर्जर अवस्था में है और इसे गिराया जा रहा है। इस पर विदेश मंत्रालय ने पहले ही खेद प्रकट किया है।

अधिकारी ने कहा कि यह कदम हमारी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को सम्मान देने की दिशा में है। मैं इस निर्णय पर गर्व महसूस करता हूं, क्योंकि यह हमारे इतिहास को संरक्षित करने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

इस मुद्दे पर तृणमूल कांग्रेस ने भी चिंता जताई है। पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव और डायमंड हार्बर से सांसद अभिषेक बनर्जी ने कहा कि ऑस्कर विजेता फिल्मकार सत्यजित रे के पैतृक घर को बांग्लादेशी प्रशासन द्वारा गिराए जाने की खबर अत्यंत पीड़ादायक है। यह भवन उनके दादा उपेंद्रकिशोर राय चौधुरी का था, जो बंगाली साहित्य और संस्कृति के क्षेत्र में एक प्रतिष्ठित व्यक्तित्व रहे हैं। इस तरह की कार्रवाई बंगालियों की सामूहिक चेतना पर आघात है।

इससे एक दिन पहले पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी भारत और बांग्लादेश सरकारों से हस्तक्षेप की मांग की थी।

यह ऐतिहासिक भवन एक सदी से भी अधिक पुराना है और एक समय 'माइमनसिंह शिशु अकादमी' का कार्यालय रहा था। वर्षों तक उपेक्षा के चलते यह भवन खंडहर में तब्दील हो गया है।

हिन्दुस्थान समाचार / ओम पराशर