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प्रयागराज, 16 जुलाई (हि.स.)। हमारा लक्ष्य केवल जानकारी देना नहीं, बल्कि यह सुनिश्चित करना है कि जो हम सिखा रहे हैं वह आपकी उद्यमिता की यात्रा में लागू भी हो। उक्त बात बुधवार को प्रयागराज के विकास भवन में आयोजित तीन दिवसीय डिजिटल एवं तकनीकी कार्यशाला को संबोधित करते हुए आईआईटी दिल्ली के प्रोफेसर गौरव द्विवेदी ने कही।
उन्होंने प्रतिभागियों के उच्च स्तरीय सवालों की सराहना करते हुए कहा कि यह उनकी डिजिटल और वित्तीय समझ को दर्शाता है। प्रश्नों में जीएसटी दरों की तुलना, यूपीआई पंजीकरण में तकनीकी अड़चनें, और ऑनलाइन धोखाधड़ी से बचाव जैसे विषयों को लेकर जिज्ञासा दिखाई दी। सभी महिलाओं ने तीनों दिन की कार्यशाला में पूरी सक्रियता के साथ भाग लिया और यह स्पष्ट रूप से व्यक्त किया कि वे सीखे गए उपकरणों और ज्ञान का अपने व्यवसाय में उपयोग करना चाहती हैं। यह देखकर प्रसन्नता हुई कि उनमें आत्मविश्वास, जिज्ञासा और आगे बढ़ने की प्रबल इच्छा शक्ति स्पष्ट रूप से झलक रही थी।
सीडीओ हर्षिका सिंह ने कहा, “महिलाओं का आकर भाग लेना अपने आप में एक बड़ी बात है। अब जब आपने यह पहल की है, तो पीछे मुड़कर नहीं देखना चाहिए।” उन्होंने यह भी जोड़ा, “सीखना जितना जरूरी है, उससे कहीं अधिक जरूरी है सीखे हुए का इस्तेमाल करना।
वित्तीय और डिजिटल साक्षरता के माध्यम से सूक्ष्म स्तर की महिला उद्यमियों को सशक्त बनाना
14 से 16 जुलाई 2025 के मध्य प्रयागराज के विकास भवन में आयोजित तीन दिवसीय कार्यशाला में चार ब्लॉकों—चाका, सोरांव, कौड़िहार और बहादुरपुर—की 80 से अधिक स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) की महिलाओं ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। इस कार्यशाला का उद्देश्य महिला उद्यमियों को डिजिटल लेनदेन, वित्तीय प्रबंधन और व्यावसायिक कौशलों से सशक्त बनाना था। प्रतिभागियों में बैंक सखी, बुक कीपर, और सामुदायिक संसाधन व्यक्ति (सीआरपीएस) शामिल थीं, जो जमीनी स्तर पर वित्तीय प्रणाली का संचालन करती हैं और अन्य महिलाओं को मार्गदर्शन देते हैं।
यह कार्यक्रम भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान दिल्ली के शोधकर्ताओं द्वारा संचालित किया गया और वैश्विक एनालिटिक्स कंपनी ईएक्सएल के सहयोग से आयोजित किया गया। यह पहल न केवल उत्तर प्रदेश, बल्कि हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, दिल्ली और उत्तराखंड के विभिन्न जिलों में भी संचालित की गई है, जिसका उद्देश्य ग्रामीण महिला उद्यमियों को आत्मनिर्भर और तकनीकी रूप से सक्षम बनाना है। यह सहयोग अकादमिक गुणवत्ता और उद्योग विशेषज्ञता के समन्वय का उदाहरण है, जिससे प्रशिक्षण अधिक प्रासंगिक और व्यावहारिक बनता है।
प्रशिक्षण में बुक कीपिंग, मोबाइल बैंकिंग, डिजिटल मार्केटप्लेस जैसे ओएनडीसी ONDC और अमेज़न पर उत्पादों की सूचीकरण, जीएसटी की मूल जानकारी, मूल्य निर्धारण और वित्तीय प्रबंधन जैसे विषयों को सरल और व्यावहारिक तरीकों से सिखाया गया। सभी सत्रों में सहभागिता को प्रोत्साहित किया गया, और प्रतिभागियों को अपने व्यवसाय से जुड़ी वास्तविक चुनौतियों पर चर्चा करने का अवसर भी दिया गया।
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हिन्दुस्थान समाचार / रामबहादुर पाल