वन भूमि पर कब्जाए सेब पेड़ों की कटाई का समय गलत, छोटे बागवानों को मिले राहत : रोहित ठाकुर
शिमला, 16 जुलाई (हि.स.)। शिमला जिला के ऊपरी इलाकों में इन दिनों वन विभाग की भूमि पर कब्जा कर लगाए गए सेब के पेड़ों की कटाई का अभियान जोरों पर है। सैकड़ों पेड़ काटे जा चुके हैं, जिससे न सिर्फ बागवानों में गुस्सा है बल्कि प्रदेश के शिक्षा मंत्री और जुब
वन भूमि पर कब्जाए सेब पेड़ों की कटाई का समय गलत, छोटे बागवानों को मिले राहत : रोहित ठाकुर


शिमला, 16 जुलाई (हि.स.)। शिमला जिला के ऊपरी इलाकों में इन दिनों वन विभाग की भूमि पर कब्जा कर लगाए गए सेब के पेड़ों की कटाई का अभियान जोरों पर है। सैकड़ों पेड़ काटे जा चुके हैं, जिससे न सिर्फ बागवानों में गुस्सा है बल्कि प्रदेश के शिक्षा मंत्री और जुब्बल-कोटखाई से विधायक रोहित ठाकुर ने भी इस कार्रवाई पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने पेड़ कटान की ‘टाइमिंग’ को गलत बताते हुए कहा है कि इस संवेदनशील मुद्दे को मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के समक्ष उठाएंगे, ताकि छोटे बागवानों को राहत दी जा सके।

रोहित ठाकुर ने कहा कि कुछ न्यायालय के आदेशों के चलते ही यह कार्रवाई की जा रही है। लेकिन यह दुखद है कि मानसून के इस समय में जब पौधारोपण होता है और पेड़ लगाए जाते हैं, तब पेड़ों को काटना सही नहीं है। खासकर तब, जब सेब तैयार होकर मंडियों में जाने लायक हो चुका है, ऐसे में सेब के पेड़ों को गिराना नुकसानदेह है। मानवीय दृष्टिकोण से भी सोचना होगा कि छोटे बागवानों की रोजी-रोटी पर इसका क्या असर होगा।

उन्होंने याद दिलाया कि वर्ष 2015 में भी इसी तरह की कार्रवाई हुई थी, लेकिन तब मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के नेतृत्व में कांग्रेस सरकार ने पांच बीघा तक की जमीन पर लगे पेड़ों को छोड़ने की नीति बनाई थी, ताकि छोटे किसानों को राहत मिल सके। वर्ष 2017 में सत्ता परिवर्तन के कारण यह नीति आगे नहीं बढ़ सकी।

वन विभाग के इस अभियान के चलते सेब उत्पादक बागवानों का गुस्सा भी फूट पड़ा है। कई बागवान संघों ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलने की घोषणा की है। उनका कहना है कि लंबे समय से अपनी जमीन पर मेहनत से उगाए गए इन सेब के पेड़ों को अचानक काट देना छोटे किसानों के लिए बड़ा झटका है।

ठाकुर ने कहा कि क्षेत्र का विधायक और बागवान परिवार से होने के नाते मैं किसानों की पीड़ा समझता हूं। छोटे बागवानों की जमीन बहुत सीमित है। इसलिए जिन किसानों के पास पांच बीघा से कम भूमि है, उन्हें राहत दी जानी चाहिए। मुख्यमंत्री से बात कर इस दिशा में समाधान निकालने की कोशिश करूंगा।

शिक्षा मंत्री ने प्रदेश में हाल में आई प्राकृतिक आपदा के मद्देनजर स्कूल भवनों को लेकर बड़ा एलान भी किया। उन्होंने कहा कि अब नदी-नालों के पास स्कूल भवनों का निर्माण पूरी तरह बंद कर दिया गया है। यह फैसला बच्चों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए लिया गया है, क्योंकि हाल के वर्षों में बादल फटने की घटनाएं बढ़ी हैं और नदी किनारे बने भवनों को भारी नुकसान हुआ है।

ठाकुर ने यह भी जोड़ा कि यह सिर्फ शिक्षा विभाग ही नहीं, बल्कि अन्य विभागों के लिए भी जरूरी है कि वे नदी-नालों के नजदीक कोई नया भवन न बनाएं।

वहीं 2023 में प्रदेश में आई भारी आपदा के बाद केंद्र सरकार से मदद देर से मिलने पर भी रोहित ठाकुर ने नाराजगी जताई। उन्होंने कहा, “जब आपदा आई, तब हिमाचल को तुरंत मदद की जरूरत थी, लेकिन केंद्र से पैसा दो साल बाद यानी 2025 में आ रहा है। आपदा के समय ही केंद्र को प्रदेश की मदद करनी चाहिए थी। ठाकुर ने बताया कि इस आपदा में सरकारी स्कूलों को भी बड़ा नुकसान हुआ है। करीब 10 स्कूल पूरी तरह क्षतिग्रस्त हुए हैं। बच्चों की पढ़ाई प्रभावित न हो, इसके लिए इन स्कूलों को जल्द शुरू किया जाएगा। जरूरत पड़ने पर निजी भवन किराए पर लिए जाएंगे।

इसके अलावा शिक्षा मंत्री ने सिराज क्षेत्र का जल्द दौरा करने की भी बात कही ताकि वहां के स्कूलों और बुनियादी ढांचे का जायजा लिया जा सके और जरूरी कदम उठाए जा सकें।

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हिन्दुस्थान समाचार / उज्जवल शर्मा