हंगरी ने यूक्रेनी सैन्य अधिकारियों पर ईयू से प्रतिबंध लगाने की मांग की, जबरन भर्ती में उत्पीड़न के आरोप
बुडापेस्ट, 16 जुलाई (हि.स.)। हंगरी ने यूरोपीय संघ (ईयू) से आग्रह किया है कि वह यूक्रेन के तीन वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों को प्रतिबंध सूची में शामिल करे। यह मांग यूक्रेन में कथित रूप से जबरन सैन्य भर्ती (कंसक्रिप्शन) के दौरान मानवाधिकारों के उल्लंघन और ह
हंगरी ने यूक्रेनी सैन्य अधिकारियों पर ईयू से प्रतिबंध लगाने की मांग की, जबरन भर्ती में उत्पीड़न के आरोप


बुडापेस्ट, 16 जुलाई (हि.स.)। हंगरी ने यूरोपीय संघ (ईयू) से आग्रह किया है कि वह यूक्रेन के तीन वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों को प्रतिबंध सूची में शामिल करे। यह मांग यूक्रेन में कथित रूप से जबरन सैन्य भर्ती (कंसक्रिप्शन) के दौरान मानवाधिकारों के उल्लंघन और हिंसा के आरोपों के मद्देनजर की गई है।

हंगरी के विदेश मंत्री पीटर सिज्जार्टो ने बुधवार को इस प्रस्ताव की जानकारी देते हुए कहा कि जिन अधिकारियों पर प्रतिबंध लगाने की मांग की गई है, वे यूक्रेन के रक्षा मंत्रालय और सशस्त्र बलों में भर्ती अभियानों की निगरानी कर रहे हैं।

यह कदम विशेष रूप से ट्रांसकारपाथिया क्षेत्र में एक जातीय हंगेरियाई व्यक्ति जोसेफ एस. की मौत के बाद उठाया गया है। रिपोर्ट के अनुसार, जुलाई की शुरुआत में जबरन भर्ती के एक अभियान के दौरान उसे पकड़कर कथित रूप से लोहे की रॉड से पीटा गया, जिससे बाद में उसकी मौत हो गई।

विदेश मंत्री सिज्जार्टो ने यूरोप की काउंसिल ऑफ ह्यूमन राइट्स की एक हालिया रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा, यूक्रेन की सड़कों पर भर्ती के नाम पर जो हो रहा है, वह किसी ‘मानव शिकार’ से कम नहीं है। जो लोग भर्ती से इनकार करते हैं, उन्हें पीटा जा रहा है या प्रताड़ित किया जा रहा है।

उन्होंने यह भी कहा कि इन घटनाओं के कई वीडियो हाल के महीनों में सामने आए हैं, जिनसे स्थिति की गंभीरता स्पष्ट होती है।

पिछले सप्ताह हंगरी ने यूक्रेनी राजदूत को तलब कर इस मुद्दे पर कड़ी आपत्ति दर्ज कराई थी। हंगरी के विदेश और व्यापार मंत्रालय में संसदीय राज्य सचिव लेवेंते मॅज्यार ने एक बयान में कहा कि पीड़ित को जबरन भर्ती किया गया और फिर बर्बरता से पीटा गया, जिससे उसकी मौत हो गई।

हंगरी के प्रधानमंत्री विक्टर ओर्बान सहित कई शीर्ष नेताओं ने मृतक के परिवार के प्रति संवेदना जताई है।

गौरतलब है कि हंगरी पहले से ही यूक्रेन के साथ ईयू सदस्यता वार्ता शुरू करने का विरोध करता रहा है। उसका कहना है कि ट्रांसकारपाथिया क्षेत्र में रह रहे जातीय हंगेरियाई नागरिकों के अधिकारों का उल्लंघन हो रहा है और उन्हें द्वितीय श्रेणी का नागरिक माना जा रहा है।

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हिन्दुस्थान समाचार / आकाश कुमार राय