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शिमला, 16 जुलाई (हि.स.)। हिमाचल प्रदेश में मानसून का असर लगातार बना हुआ है और आने वाले दिनों में बारिश के और भी ज्यादा तेज होने की संभावना है। मौसम विभाग ने प्रदेश के विभिन्न जिलों में 22 जुलाई तक भारी बारिश को लेकर अलर्ट जारी किया है। बुधवार को भी राजधानी शिमला और आसपास के पहाड़ी इलाकों में रुक-रुक कर बारिश होती रही, जबकि मैदानी भागों में मौसम साफ बना रहा। सिरमौर जिले में बीती रात भारी बारिश हुई, जिससे कई स्थानों पर पानी का बहाव तेज हो गया। बीते 24 घंटों में कुल्लू जिले के कोठी, सिरमौर जिले के जतौंन बैरेज और संगड़ाह में 40-40 मिमी बारिश दर्ज की गई।
मौसम विभाग के अनुसार 17 से 20 जुलाई तक कई जिलों में भारी बारिश की चेतावनी के तहत येलो अलर्ट जारी किया गया है, जबकि 21 और 22 जुलाई को बारिश के और ज्यादा तीव्र होने की संभावना के चलते ऑरेंज अलर्ट जारी किया गया है। तेज बारिश के कारण भूस्खलन, नदियों और नालों में जलस्तर बढ़ने और सड़कों के बाधित होने की आशंका है।
विभाग के पूर्वानुमान के मुताबिक 17 जुलाई को ऊना, बिलासपुर, हमीरपुर, चम्बा, कांगड़ा, कुल्लू और मंडी जिलों में भारी बारिश की चेतावनी के साथ येलो अलर्ट रहेगा। इन जिलों में कुछ स्थानों पर तेज बारिश से जनजीवन प्रभावित हो सकता है। 18 जुलाई को चम्बा, कांगड़ा, कुल्लू, मंडी और सिरमौर जिलों में भी भारी बारिश का येलो अलर्ट जारी किया गया है। इन क्षेत्रों में स्थानीय प्रशासन ने लोगों को सतर्क रहने और जरूरी सावधानी बरतने की सलाह दी है। 19 जुलाई को फिर से चम्बा, कांगड़ा, कुल्लू और मंडी जिलों में भारी बारिश की चेतावनी के साथ येलो अलर्ट रहेगा। वहीं 20 जुलाई को सिरमौर जिले में भारी बारिश का येलो अलर्ट जारी किया गया है। इस दौरान लोगों से अपील की गई है कि वे अनावश्यक यात्रा से बचें और नदी-नालों के किनारे न जाएं।
मौसम विभाग का कहना है कि 21 और 22 जुलाई को प्रदेश के कुछ इलाकों में बारिश की तीव्रता और बढ़ने की संभावना है, जिसके लिए ऑरेंज अलर्ट जारी किया गया है। ऑरेंज अलर्ट का मतलब है कि इन दिनों में कई क्षेत्रों में भारी से बहुत भारी बारिश हो सकती है जिससे सामान्य जनजीवन पर असर पड़ सकता है और और संवेदनशील क्षेत्रों में भूस्खलन भी हो सकता है।
राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र की रिपोर्ट के मुताबिक बुधवार शाम तक प्रदेश में एक नेशनल हाईवे समेत कुल 201 सड़कें बंद पड़ी हैं। अकेले मंडी जिले में सबसे ज्यादा 140 सड़कें प्रभावित हुई हैं, वहीं सिरमौर में एक नेशनल हाईवे (एनएच-707) व 27 सड़कें, कुल्लू में 21, कांगड़ा में 10 सड़कें बंद हैं। मंडी जिले में 41 बिजली ट्रांसफार्मर और 119 पेयजल योजनाएं ठप हैं।
राज्य में कुल 47 ट्रांसफार्मर बंद पड़े हैं और 137 पेयजल योजनाओं पर असर पड़ा है। कांगड़ा जिला के नूरपुर उपमंडल में 18 पेयजल योजनाएं प्रभावित हुई हैं।
राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र के मुताबिक पिछले 26 दिनों (20 जून से 16 जुलाई) में बारिश से जुड़ी घटनाओं में 109 लोगों की जान चली गई, 35 लोग अब भी लापता हैं और 199 लोग घायल हुए हैं।
मौतों के मामले में मंडी जिला सबसे अधिक प्रभावित है, जहां अब तक 20 लोगों की मौत और 27 लापता हैं। कांगड़ा में 19, कुल्लू में 11, हमीरपुर व चम्बा में 9-9 और सोलन, बिलासपुर व ऊना जिलों में 8-8 लोगों की मौत हुई है।
अब तक राज्य में 1084 घर आंशिक या पूरी तरह टूट चुके हैं, 248 दुकानें और 894 गौशालाएं तबाह हो गई हैं। अकेले मंडी जिले में 883 घर, 225 दुकानें और 730 गौशालाएं प्रभावित हुई हैं। 30 जून की रात मंडी में बादल फटने की 12 घटनाओं ने खासतौर पर सिराज क्षेत्र में भारी तबाही मचाई थी। भारी बारिश से अब तक 21,500 पोल्ट्री पक्षी और 1228 अन्य पशु मारे जा चुके हैं। प्रदेश में मानसून के दौरान बादल फटने की 22, बाढ़ की 32 और भूस्खलन की 18 घटनाएं रिकॉर्ड हुई हैं।
रिपोर्ट के अनुसार मानसून सीजन में अब तक प्रदेश को लगभग 883 करोड़ की संपत्ति का नुकसान हो चुका है। सबसे ज्यादा नुकसान लोक निर्माण विभाग को हुआ है, जिसकी करीब 430 करोड़ की संपत्ति प्रभावित हुई है। जलशक्ति विभाग को भी लगभग 420 करोड़ का नुकसान हुआ है।
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हिन्दुस्थान समाचार / उज्जवल शर्मा