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शिमला, 16 जुलाई (हि.स.)। शिमला फोरलेन निर्माण से प्रभावित लोगों ने बुधवार को श्रमिक संगठन सीटू और किसान सभा के बैनर तले उपनगर चक्कर स्थित राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) के दफ्तर के बाहर जोरदार प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने फोरलेन बनाने वाली कंपनियों पर अवैज्ञानिक तरीके से कटिंग और अवैध डंपिंग करने का आरोप लगाया, जिससे कैथलीघाट से ढली तक की 9 पंचायतों के लोगों की जिंदगी प्रभावित हो रही है।
प्रभावित लोगों ने बताया कि इस अवैज्ञानिक निर्माण से कई घरों को असुरक्षित घोषित कर दिया गया है। खेत, रास्ते और पेयजल स्रोत भी बुरी तरह क्षतिग्रस्त हुए हैं। प्रदर्शनकारियों ने कहा कि नियमों के मुताबिक न तो उन्हें मुआवजा दिया जा रहा है और न ही स्थानीय लोगों को 80 प्रतिशत रोजगार देने का वादा पूरा किया गया है। आरोप लगाया कि फोरलेन कंपनियां अवैध माइनिंग और डंपिंग कर रही हैं। इससे पहाड़ कमजोर हो रहे हैं। मकानों को नुकसान हो रहा है, मगर एनएचएआई, प्रदेश सरकार और केंद्र सरकार इस ओर कोई कदम नहीं उठा रही हैं।
लोगों ने कहा कि फोरलेन का निर्माण स्थानीय लोगों के जीवन और रोजगार पर असर डाल रहा है, लेकिन उन्हें मुआवजा तक नहीं दिया गया। इसके विरोध में उन्होंने एनएचएआई दफ्तर के बाहर धरना देकर मांग पत्र सौंपा।
प्रभावितों ने चेतावनी दी है कि अगर जल्द उनकी मांगें नहीं मानी गईं तो वे भविष्य में बड़ा आंदोलन खड़ा करेंगे। उनका कहना है कि जब तक फोरलेन निर्माण में वैज्ञानिक तरीके का पालन नहीं होगा और प्रभावितों को उचित मुआवजा नहीं मिलेगा तब तक संघर्ष जारी रहेगा। लोगों ने सरकार और एनएचएआई से तुरंत कदम उठाकर नुकसान की भरपाई करने, डंपिंग को रोकने और अवैज्ञानिक कटिंग बंद करने की मांग की है।
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हिन्दुस्थान समाचार / उज्जवल शर्मा