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चित्तौड़गढ़, 16 जुलाई (हि.स.)। अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट चित्तौड़गढ़ संख्या-1 इंद्रसिंह मीणा ने धोखाधड़ी और जालसाजी के एक मामले में अभियुक्त वीरेंद्र सिंह चारण को दोषी करार दिया है। अभियुक्त को सात वर्ष के कठोर कारावास और 7 लाख 60 हजार के अर्थदंड से दंडित किया गया है। सह-अभियुक्त शैलेंद्र कुमार जैन को साक्ष्य के अभाव में सभी आरोपों से बरी कर दिया गया है।
अभियुक्त ने पहले राज्यसभा सांसद के जाली लेटर पैड से अनुशंसा करवाई और बाद में बैंक में फर्जी खाता खोल कर ठगी करने का आरोप है।
अभियोजन अधिकारी सीमा मालवीय ने बताया कि मामला 3 जुलाई, 2006 को इलाहाबाद बैंक के शाखा प्रबंधक द्वारा दर्ज कराई गई रिपोर्ट से संबंधित है। इसमें बताया कि 17 मार्च 2006 को एक व्यक्ति ने खुद को सीईओ बताते हुए फर्जी तरीके से बचत खाता खोला था। पुलिस जांच के बाद, वीरेंद्र सिंह चारण और शैलेंद्र कुमार जैन के खिलाफ विभिन्न धाराओं के तहत आरोप पत्र पेश किया गया। अदालत ने पाया कि वीरेंद्र सिंह चारण ने 20 फरवरी 2006 को तत्कालीन राज्यसभा सांसद डॉ. प्रभा ठाकुर के नाम से एक जाली लेटर पैड तैयार किया था। इस लेटर पैड का इस्तेमाल कर उसने 10 लाख की अनुशंसा करवाई और सीईओ अजमेर के राजकीय विभाग से 10 लाख का चेक प्राप्त किया। यह राशि उसने इलाहाबाद बैंक चित्तौड़गढ़ में अपने द्वारा खोले गए फर्जी राजकीय कार्यालयीय खाते में जमा कराई। बाद में अपने रिश्तेदारों व सहयोगियों के खातों में ट्रांसफर कर या नकद निकाल कर सरकारी खजाने को 10 लाख का नुकसान पहुंचाया था। मामले में शैलेंद्र कुमार जैन को आपराधिक षड्यंत्र व घटना में संलिप्तता के पर्याप्त साक्ष्य न मिलने के कारण बरी कर दिया गया। वहीं वीरेंद्रसिंह चारण को भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत कुल 7 साल का कठोर कारावास और 7.60 लाख का जुर्माना लगाया गया है। सभी सजाएं साथ-साथ चलेंगी और न्यायिक हिरासत में बिताई गई अवधि को उसकी सजा में समायोजित किया जाएगा। न्यायालय ने दोनों अभियुक्त को 6 माह के लिए 40 हजार के जमानत मुचलके पेश करने का निर्देश दिया गया है।
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हिन्दुस्थान समाचार / अखिल