हिसार : महिलाएं नेतृत्व भूमिका में आएंगी तो नए आयाम स्थापित होंगे : प्रो. सुदेश
भारतीय सभ्यता में नारी को ‘शक्ति’ कहना केवल एक उपमा नहीं बल्कि तत्व दर्शन : प्रो. नरसी राम बिश्नोईहिसार, 16 जुलाई (हि.स.)। भगत फूल सिंह महिला विश्वविद्यालय, खानपुर कलां, सोनीपत की कुलपति प्रो. सुदेश ने कहा है कि महिलाएं अपने कम्फर्ट जॉन से बाहर से नि
कार्यक्रम का उद्घाटन करते मुख्यातिथि कुलपति प्रो. सुदेश।


भारतीय सभ्यता में नारी को ‘शक्ति’ कहना केवल एक उपमा नहीं बल्कि तत्व दर्शन : प्रो. नरसी राम बिश्नोईहिसार, 16 जुलाई (हि.स.)। भगत फूल सिंह महिला विश्वविद्यालय, खानपुर कलां, सोनीपत की कुलपति प्रो. सुदेश ने कहा है कि महिलाएं अपने कम्फर्ट जॉन से बाहर से निकलें और जीवन की चुनौतियों को स्वीकार करें। अपनी ताकत को समझकर आगे बढ़ें और खुद में एक विश्वास पैदा करें। महिलाओं में नेतृत्व की अद्भुत क्षमता है। प्रो. सुदेश बुधवार काे यहां के गुरु जम्भेश्वर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के मालवीय मिशन शिक्षक प्रशिक्षण केन्द्र (एमएमटीटीसी) के सौजन्य से ‘शिक्षा जगत में महिला नेतृत्व’ विषय पर शुरू हुए तीन दिवसीय कार्यक्रम के उद्घाटन समारोह को मुख्य अतिथि के तौर पर सम्बोधित कर रही थी। पीडीयूआईआईसी के सेमिनार हॉल में हुए इस समारोह की अध्यक्षता गुजविप्रौवि के कुलपति प्रो. नरसी राम बिश्नोई ने की। इस अवसर पर एमएमटीटीसी की निदेशिका प्रो. सुनीता रानी, उपनिदेशक डा. हरदेव सिंह व कार्यक्रम संयोजक डा. अंजू गुप्ता उपस्थित रहे। मुख्यातिथि प्रो. सुदेश ने कहा कि यह कार्यशाला महिलाओं को खुद को समझने का मौका देगी। कार्यशाला के अंत में महिलाएं खुद को बदला हुआ पाएंगी। महिलाओं को जब-जब मौके मिले हैं, वे बड़े बदलाव का आधार बने हैं। उन्होंने प्रतिभगियों से कहा कि महिलाओं का नेतृत्व भूमिका में आना अत्यंत आवश्यक है। अगर महिलाएं ऐसा नहीं करेंगी तो इससे महिलाओं को खुद के नुकसान के साथ-साथ परिवार, राज्य और राष्ट्र का भी नुकसान होगा। महिलाएं नेतृत्व भूमिका में आएंगी तो नए आयाम स्थापित होंगे। कुलपति प्रो. नरसी राम बिश्नोई ने कहा कि भारती मिश्र, छठी सदी की विदुषी, जिन्होंने मिथिला में शंकराचार्य जैसे महान अद्वैत वेत्ता को शास्त्रार्थ में चुनौती दी और स्वयं उनके एवं मंडन मिश्र के मध्य निर्णायक बनीं। यह नारी नेतृत्व का ऐसा ऐतिहासिक प्रमाण है, जिसे भूलना स्वयं को भूलना होगा। उन्होंने एमएमटीटीसी टीम को इस आयोजन के लिए बधाई दी और कहा कि यह आयोजन केवल एक पाठ्यक्रम नहीं, बल्कि नारी नेतृत्व की प्राकृतिक शक्ति और भारतीय परंपरा की पुनर्पुष्टि का रूप है। उन्होंने कहा कि महिलाएं जन्मजात नेता होती हैं। एमएमटीटीसी की निदेशिका प्रो. सुनीता रानी ने अपने स्वागत संबोधन में कहा कि यह कार्यशाला प्रतिभागियों के लिए अत्यंत उपयोगी होगी। यह कार्यक्रम एमएमटीटीसी का एक महत्वाकांक्षी कार्यक्रम है। इस कार्यक्रम के माध्यम से प्रतिभागियों को अपनी नेतृत्व क्षमता को पहचानने का मौका मिलेगा। साथ ही प्रतिभागियों में विकसित नेतृत्व क्षमता संबंधित संस्थानों के लिए भी उपयोगी होगी।कार्यक्रम की संयोजिका डा. अंजू गुप्ता ने कार्यक्रम की विस्तृत रूपरेखा प्रस्तुत की। उन्होंने बताया कि इस कार्यक्रम में विश्वविद्यालय तथा अन्य संस्थानों से 35 महिला प्रतिभागी शिक्षक भाग ले रहे हैं। एमएमटीटीसी के उप निदेशक डा. हरदेव सिंह ने सभी का धन्यवाद किया। इस अवसर पर ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान के तहत मुख्य अतिथि प्रो.सुदेश व कुलपति प्रो. नरसी राम बिश्नोई ने पौधारोपण भी किया। इस अवसर पर प्रो. संजीव कुमार, प्रो. दलबीर सिंह, प्रो. सुजाता सांघी, प्रो. विशाल गुलाटी व प्रो. मनीष कुमार उपस्थित रहे।

हिन्दुस्थान समाचार / राजेश्वर