मुख्यमंत्री डाॅ. यादव के ससुर पंचतत्व में हुए विलीन, रीवा में सीएम के दोनों बेटे-बहन श्रद्धांजलि देने पहुंचे
भोपाल/रीवा, 16 जुलाई (हि.स.)। मुख्यमंत्री डाॅ माेहन यादव के ससुर ब्रह्मादीन यादव बुधवार काे पंचतत्व में विलीन हाे गए। रीवा में उन्हें अंतिम विदाई दी गई, जहां बड़े बेटे ने उनके पार्थिव देह को मुखाग्नि दी। मुख्यमंत्री के दोनों बेटे अभिमन्यु और वैभव अपनी
उपमुख्यमंत्री राजेन्द्र शुक्ल श्रद्धांजलि  देने पहुंचे


मुख्यमंत्री डाॅ माेहन यादव के ससुर  ब्रह्मादीन यादव फाइल फाेटाे


भोपाल/रीवा, 16 जुलाई (हि.स.)। मुख्यमंत्री डाॅ माेहन यादव के ससुर ब्रह्मादीन यादव बुधवार काे पंचतत्व में विलीन हाे गए। रीवा में उन्हें अंतिम विदाई दी गई, जहां बड़े बेटे ने उनके पार्थिव देह को मुखाग्नि दी। मुख्यमंत्री के दोनों बेटे अभिमन्यु और वैभव अपनी बुआ कलावती यादव के साथ, डिप्टी सीएम राजेंद्र शुक्ल समेत कई राजनीतिक और सामाजिक हस्तियां उनको श्रद्धांजलि देने पहुंची।

गाैरतलब है कि मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के ससुर ब्रह्मादीन यादव का मंगलवार रात निधन हो गया था। उन्होंने यूपी के सुल्तानपुर में विवेकानंद नगर स्थित अपने आवास पर 98 साल की उम्र में अंतिम सांस ली। वे काफी दिनों से बीमार चल रहे थे। अभी मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव सात दिनों की दुबई और स्पेन की यात्रा पर हैं। सीएम के साथ पत्नी सीमा यादव भी विदेश दौरे पर हैं। जिस वक्त उनके ससुर के निधन की खबर आई,उस दौरान सीएम दुबई से स्पेन के लिए रवाना चुके गए थे। स्पेन में सीएम की उद्योगपतियों, निवेशकों, फिल्म निर्माताओं के साथ बैठकें होनी हैं। ऐसे में उनके अंतिम संस्कार में शामिल हाेने रीवा नहीं पहुंच पाए।

उल्‍लेखनीय है कि ब्रह्मानंद यादव का जीवन रीवा से गहराई से जुड़ा रहा है। वे करीब 45 वर्षों से रीवा में निवासरत थे और यहीं उन्होंने अपने सामाजिक और पारिवारिक जीवन को आगे बढ़ाया। रीवा को उन्होंने अपनी कर्मभूमि बनाया और यहीं से उन्होंने परिवार को मजबूत नींव दी। ब्रह्मादीन यादव लंबे समय से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े रहे। अपने छात्र जीवन में उन्‍होंने कई आंदोलनों में भाग लिया था पुलिस की गिरफ्तारी से बचने के लिए उन्हें घर छोड़ना पड़ा और वे मुंबई चले गए। मूल नाम ब्रह्मानंद था, लेकिन आंदोलन के दौरान पहचान छुपाने के लिए उन्होंने अपना नाम बदलकर ब्रह्मादीन रख लिया। उन्होंने मुंबई में पढ़ाई शुरू की। पढ़ाई पूरी करके फिर यूपी आ गए। इसके बाद नौकरी के लिए मध्यप्रदेश के रीवा पहुंचे। यहां एक राजकीय स्कूल में नौकरी मिल गई। 1987 में वो प्रिंसिपल के पद से रिटायर्ड हुए थे।

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हिन्दुस्थान समाचार / नेहा पांडे