क‍ृषि क्षेत्र में विकास के लिए आएगी प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना
सरकार ने देश में खेती के उत्पादन और किसानों की क्षमता बढ़ाने के लिए 100 जिलों में 24 हजार करोड़ रुपये की लागत वाली प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना शुरू करने की आज घोषणा की। इसके अंतर्गत 11 मंत्रालयों की 36 योजनाओं को एकीकृत किया गया है।


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-केन्द्रीय मंत्रिमंडल का फैसला

नई दिल्ली, 16 जुलाई (हि.स.)। सरकार ने देश में खेती के उत्पादन और किसानों की क्षमता बढ़ाने के लिए 100 जिलों में 24 हजार करोड़ रुपये की लागत वाली प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना शुरू करने की आज घोषणा की। इसके अंतर्गत 11 मंत्रालयों की 36 योजनाओं को एकीकृत किया गया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र माेदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल की आज यहां हुई बैठक में यह निर्णय लिया गया।

सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विवी वैष्णव ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कैबिनेट के फैसलों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि यह योजना कम उत्पादकता, कम फसल तीव्रता और कम ऋण वितरण के पैमाने पर पिछड़े सौ जिलों में लागू की जाएगी। उन्होंने कहा कि यह योजना वर्ष 2025-26 से शुरू होकर छह वर्ष की अवधि के लिए होगी। प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना नीति आयोग के आकांक्षी जिला कार्यक्रम से प्रेरणा लेती है और अपनी तरह का पहला विशेष रूप से कृषि और संबद्ध क्षेत्रों पर केंद्रित कार्यक्रम है। योजना के लिए प्रत्येक राज्य/संघ शासित प्रदेश में न्यूनतम एक जिले का चयन किया जाएगा।

उन्होंने कहा कि इस योजना का उद्देश्य कृषि उत्पादकता बढ़ाना, फसल विविधीकरण और सतत कृषि पद्धतियों को अपनाना, बढ़ाना, पंचायत और ब्लॉक स्तरों पर फसलोपरान्त भंडारण को बढ़ाना, सिंचाई सुविधाओं में सुधार करना और दीर्घावधिक और अल्पावधिक ऋण की उपलब्धता को सुगम बनाना है। यह प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना के तहत 100 जिलों को विकसित करने के लिए 2025-26 की बजट घोषणा के अनुसरण में है। यह योजना 11 विभागों में 36 मौजूदा योजनाओं, अन्य राज्य योजनाओं और निजी क्षेत्र के साथ स्थानीय भागीदारी के अभिसरण के माध्यम से लागू की जाएगी।

श्री वैष्णव ने कहा कि प्रत्येक राज्य में योजना के प्रभावी नियोजन, कार्यान्वयन और निगरानी के लिए जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर समितियों का गठन किया जाएगा। जिला धन-धान्य भुगतान समिति द्वारा जिला कृषि एवं संबद्ध गतिविधि योजना को अंतिम रूप दिया जाएगा, जिसमें प्रगतिशील किसान भी सदस्य होंगे। जिला योजनाओं को फसल विविधीकरण, जल और मृदा स्वास्थ्य के संरक्षण, कृषि और संबद्ध क्षेत्रों में आत्मनिर्भरता के साथ-साथ प्राकृतिक और जैविक खेती के विस्तार के राष्ट्रीय लक्ष्यों से जोड़ा जाएगा। प्रत्येक धन-धान्य जिले में योजना की प्रगति की निगरानी मासिक आधार पर डैशबोर्ड के माध्यम से 117 प्रमुख प्रदर्शन संकेतकों पर की जाएगी। नीति आयोग जिला योजनाओं की समीक्षा और मार्गदर्शन भी करेगा। इसके अलावा, प्रत्येक जिले के लिए नियुक्त केंद्रीय नोडल अधिकारी भी नियमित आधार पर योजना की समीक्षा करेंगे।

उन्होंने कहा कि जैसे-जैसे इन 100 जिलों में लक्षित परिणामों में सुधार होगा, देश के लिए प्रमुख निष्पादन संकेतकों की तुलना में समग्र औसत में वृद्धि होगी। इस योजना के परिणामस्वरूप उच्च उत्पादकता, कृषि और संबद्ध क्षेत्र में मूल्यवर्धन, स्थानीय आजीविका सृजन होगा और इसलिए घरेलू उत्पादन में वृद्धि होगी और आत्मनिर्भरता (आत्मनिर्भर भारत) प्राप्त होगी। जैसे-जैसे इन 100 जिलों के संकेतकों में सुधार होगा और इसके परिणामस्वरूप राष्ट्रीय संकेतकों में स्वतः ही सुधार दिखेगा।--------------

हिन्दुस्थान समाचार / सचिन बुधौलिया