वायु गुणवत्ता की निगरानी के लिए अवध विश्वविद्यालय परिसर में स्थापित हुआ आधुनिक संयंत्र
अयोध्या, 16 जुलाई (हि.स.)। डाॅ. राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के पर्यावरण विज्ञान विभाग की पहल पर वायु गुणवत्ता की निगरानी के लिए आधुनिक संयंत्र प्रशासनिक भवन परिसर में स्थापित किया गया है। पर्यावरण विज्ञान विभाग के अध्यक्ष डॉ. विनोद चौधरी ने बता
वायु गुणवत्ता की निगरानी के लिए अवध विश्वविद्यालय परिसर में स्थापित हुआ आधुनिक संयंत्र


अयोध्या, 16 जुलाई (हि.स.)। डाॅ. राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के पर्यावरण विज्ञान विभाग की पहल पर वायु गुणवत्ता की निगरानी के लिए आधुनिक संयंत्र प्रशासनिक भवन परिसर में स्थापित किया गया है। पर्यावरण विज्ञान विभाग के अध्यक्ष डॉ. विनोद चौधरी ने बताया कि अयोध्या में वायु प्रदूषण की समस्या दिन-प्रतिदिन खराब होती जा रही है। इसका प्रभाव न केवल मानव स्वास्थ्य पर बल्कि पर्यावरण, वनस्पतियों, जलवायु और संपूर्ण पारिस्थितिकी तंत्र पर भी पड़ रहा है। इसी चुनौती को ध्यान में रखते हुए विश्वविद्यालय के पर्यावरण विज्ञान विभाग ने एक अत्याधुनिक वायु गुणवत्ता और मौसम निगरानी तंत्र की शुरुआत की है। विश्वविद्यालय के कुलपति कर्नल डॉ. बिजेंद्र सिंह की इस पहल से विश्वविद्यालय के प्रशासनिक परिसर में एक नवीन निरंतर वायु गुणवत्ता निगरानी स्टेशन की स्थापना की गई है। इस प्रणाली के माध्यम से अब विश्वविद्यालय न केवल क्षेत्रीय वायु गुणवत्ता का सटीक मूल्यांकन कर पाएगा, बल्कि इससे प्राप्त आंकड़ों के आधार पर जनजागरूकता बढ़ाने और नीति निर्धारण के लिए भी ठोस प्रयास किए जा सकेंगे। डॉ. चौधरी ने बताया, “यह पहल विश्वविद्यालय की अनुसंधान क्षमताओं को नई दिशा देने के साथ-साथ समाज के प्रति हमारी जिम्मेदारी को भी दर्शाती है। वायु प्रदूषण की समस्या को केवल आंकड़ों से नहीं, बल्कि सही रणनीति और सामूहिक प्रयास से ही हल किया जा सकता है।” उन्होंने बताया कि यह निगरानी तंत्र पूरे वर्ष 24 घंटे सक्रिय रहेगा और यह वास्तविक समय में वायु प्रदूषकों और मौसमीय मापदंडों की निगरानी करेगा। इस प्रणाली में एक डिजिटल डैशबोर्ड भी शामिल है, जहां आमजन के लिए भी आंकड़े सार्वजनिक रूप से उपलब्ध कराए जाएंगे। इससे नागरिक अपने परिवेश की वायु गुणवत्ता के बारे में जान सकेंगे।

निगरानी तंत्र में कई प्रमुख वायु प्रदूषकों की निगरानी की जा रही है।पीएम 1.0, पीएम 2.5 और पीएम 10 ये सूक्ष्म कण वायु में रहते हैं और सीधे श्वसन तंत्र को प्रभावित करते हैं। इनका प्रमुख स्रोत वाहनों से निकला धुआं, निर्माण कार्य, औद्योगिक उत्सर्जन और घरेलू ईंधन का दहन है। सल्फर डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड्स,कार्बन मोनोक्साइड, (ओज़ोन) नाइट्रोजन ऑक्साइड्स और वाष्पशील कार्बनिक यौगिकों के परस्पर क्रिया से सूर्य के प्रकाश में बनता है। यह ऊपरी वातावरण में लाभकारी लेकिन धरातलीय स्तर पर हानिकारक होता है। इसलिए बदलते परिवेश में इनकी निगरानी आवश्यक है। इस तंत्र के माध्यम से निम्नलिखित मौसमीय मापदंडों की भी निगरानी की जाएगी। ये आंकड़े मौसमीय परिस्थितियों के विश्लेषण और वायु गुणवत्ता पर उनके प्रभाव को समझने में मदद करेंगे। यह केवल आंकड़े एकत्र करने तक सीमित नहीं रहेगा। विभाग द्वारा इन आंकड़ों का विश्लेषण कर शोध पत्र तैयार किए जाएंगे, जिनका उपयोग न केवल अकादमिक अनुसंधान के लिए होगा, बल्कि प्रशासनिक नीतियों में भी किया जा सकेगा।

डॉ. चौधरी ने कहा, हमारा उद्देश्य केवल वैज्ञानिक आंकड़े जुटाना नहीं है, बल्कि लोगों को उनके परिवेश के प्रति जागरूक बनाना भी है। अगर आम नागरिक यह जान सकें कि किस समय वायु गुणवत्ता खराब है, तो वे व्यक्तिगत स्तर पर आवश्यक सावधानियाँ बरत सकते हैं, जैसे बच्चों और बुजुर्गों को बाहर निकलने से रोकना, वाहनों का कम उपयोग, या घरेलू स्रोतों से उत्पन्न धुएं को नियंत्रित करना। विभाग द्वारा समय-समय पर वायु गुणवत्ता सूचकांक पर आधारित बुलेटिन भी जारी किए जाएंगे और स्थानीय समुदायों, स्कूलों और कॉलेजों में जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। विभाग इस योजना प्रणाली को शहर के अन्य भागों में भी विस्तारित करने की है। इसके लिए विभाग अन्य शैक्षणिक संस्थानों, नगर निकायों से सहयोग करेगा। भविष्य में विभिन्न स्थानों पर ऐसे निगरानी तंत्र स्थापित कर एक वायु गुणवत्ता नेटवर्क तैयार किया जाएगा, जिससे पूरे अयोध्या मंडल की पर्यावरणीय स्थिति का समग्र चित्र सामने आ सके।

हिन्दुस्थान समाचार / पवन पाण्डेय