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भोपाल, 16 जुलाई (हि.स.)। वन विभाग ने वर्ल्ड स्नेक-डे पर सर्पदंश से होने वाली जनहानि को रोकने और ग्रामीण क्षेत्रों में वैज्ञानिक जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से दक्षिण पन्ना वन मण्डल द्वारा दो अभिनव पहल की शुरूआत की गयी। पारम्परिक लोक संस्कृति और रचनात्मक शैक्षणिक संसाधनों के समन्वय का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। इनमें “आल्हा गायन’’ और “साँप सीढ़ी’’ खेल के माध्यम से सर्पदंश से बचाव एवं उपचार के लिये जागरूक किया जा रहा है। इन दोनों पहल का उद्देश्य ग्रामीण समुदाय, विशेषकर बच्चों और युवाओं को सर्पदंश के प्रति सचेत करना, अंधविश्वासों से दूर रखते हुए वैज्ञानिक प्राथमिक उपचार की समझ बढ़ाना है। यह प्रयास जन-भागीदारी से जन-जीवन की सुरक्षा के लिये एक प्रभावशाली और प्रेरणादायक कदम है।
जनसंपर्क के सूचना अधिकारी के.के. जोशी ने बुधवार को बताया वन विभाग पन्ना द्वारा बुंदेलखण्ड की प्रसिद्ध वीरगाथा शैली “आल्हा’’ के माध्यम से एक विशेष लोकगीत की रचना एवं प्रस्तुति करवायी गयी। इसमें सर्पदंश के लक्षणों, सावधानियों एवं प्राथमिक उपचार की जानकारी सरल बुंदेली भाषा में दी गयी। ऑडियो गीत ग्राम वन समितियों, स्कूलों तथा सोशल मीडिया के माध्यम से भी व्यापक रूप से प्रसारित किया जायेगा। क्षेत्रीय लोक संस्कृति के माध्यम से समाज में गहरी और स्थायी जागरूकता आयेगी। ऑडियो गीत के रचनाकार डॉ. सुरेश श्रीवास्तव एवं उनकी टीम द्वारा तैयार किया गया है।
उन्होंने बताया कि सर्पदंश से बचाव और उपचार की जानकारी को रोचक और प्रभावी ढंग से पहुँचाने के लिये दो विशेष साँप सीढ़ी खेल विकसित किये गये हैं। इन खेलों में “क्या करें और क्या न करें’’ के संदेश को सीढ़ियों और साँपों के माध्यम से प्रतीकात्मक चित्रों में दर्शाया गया है। इस खेल में कोबरा, करैत और रसेल वाइपर जैसे घातक सर्पों के आकर्षक कार्टून चित्र शामिल हैं, जो मध्यप्रदेश में सर्पदंश से होने वाली अधिकांश मौतों के लिये जिम्मेदार हैं। साथ ही गोंड कला के पारम्परिक मोटिफ भी इन खेलों में समाहित किये गये हैं, जिससे यह स्थानीय संस्कृति से जुड़ते हैं। वर्ल्ड स्नेक-डे के अवसर पर वन मण्डल के चयनित विद्यालयों में “साँप सीढ़ी’’ का वितरण किया जायेगा, जिससे यह संदेश प्रभावी रूप से पहुँच सके।
हिन्दुस्थान समाचार / उम्मेद सिंह रावत