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प्रयागराज, 16 जुलाई (हि.स.)। कम्प्यूटर विज़न और बायोमेट्रिक्स लैब (सीवीबीएल) द्वारा आयोजित “व्याख्यात्मक एआई और बायोमेट्रिक सिग्नल प्रोसेसिंग (एक्सएआई) के अनुप्रयोग“ विषय पर पांच दिवसीय आईईईई सिग्नल प्रोसेसिंग सोसाइटी (एसपीएस) का कार्यक्रम भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान, इलाहाबाद (आईआईआईटी-ए) के झलवा परिसर में शुरू हुआ।समारोह का उद्घाटन करते हुए आईआईआईटी इलाहाबाद के निदेशक प्रो. मुकुल शरद सुतावाने ने एआई मॉडलों में विशेष रूप से बायोमेट्रिक्स जैसे व्यक्तिगत और संवेदनशील डेटा से जुड़े अनुप्रयोगों में व्याख्यात्मकता के बढ़ते महत्व पर ज़ोर दिया। उन्होंने कहा कि जैसे-जैसे एआई महत्वपूर्ण निर्णय लेने वाली प्रणालियों में गहराई से समाहित होता जा रहा है। व्याख्यात्मकता की आवश्यकता केवल अकादमिक ही नहीं, बल्कि अनिवार्य भी है। उन्होंने आगे कहा कि विशेष रूप से बायोमेट्रिक पहचान जैसे क्षेत्रों में जहां परिणाम सीधे मानव पहचान और सुरक्षा को प्रभावित करते हैं। यह सुनिश्चित करना अत्यंत महत्वपूर्ण है कि एआई मॉडलों की व्याख्या, सत्यापन और विश्वसनीयता सुनिश्चित की जा सके। उन्होंने बताया कि इस कार्यक्रम का उद्देश्य न केवल प्रतिभागियों को एक्सएआई की अत्याधुनिक तकनीकों से परिचित कराना है, बल्कि एआई सिस्टम डिज़ाइन और परिनियोजन के प्रति एक ज़िम्मेदार दृष्टिकोण भी विकसित करना है।डॉ. सतीश कुमार सिंह ने विशेष रूप से बायोमेट्रिक सिग्नल प्रोसेसिंग जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में, व्याख्यात्मक एआई (एक्सएआई) पद्धतियों के बारे में जागरूकता बढ़ाने और उन्हें अपनाने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि जैसे-जैसे एआई प्रणालियां स्वास्थ्य सेवा, सुरक्षा और पहचान सत्यापन जैसे क्षेत्रों में तेज़ी से प्रवेश कर रही हैं-जो अक्सर ईईजी, ईसीजी, चेहरे की विशेषताओं या उंगलियों के निशान जैसे बायोमेट्रिक डेटा पर निर्भर करती हैं। इन प्रणालियों की व्याख्या व पारदर्शिता महत्वपूर्ण हो जाती है।
डॉ. सिंह ने इस बात पर जोर दिया कि बायोमेट्रिक प्रणालियों में एआई को जिम्मेदारी से लागू करने के लिए, खासकर जहां निर्णयों के कानूनी, नैतिक या चिकित्सीय परिणाम हो सकते हैं, मॉडलों को ऐसे स्पष्टीकरण प्रदान करने चाहिए जो मानव-समझने योग्य और तकनीकी रूप से आधारित हों।ट्रिपल आईटी के मीडिया प्रभारी डॉ पंकज मिश्र ने बताया कि इस अवसर पर डॉ. शिव राम दुबे ने युवा शोधकर्ताओं को ऐसे नए तरीकों की खोज करने के लिए प्रोत्साहित किया, जो मॉडल प्रदर्शन और व्याख्यात्मकता के बीच की खाई को पाट सकें-जैसे कि नियम आधारित तर्क के साथ गहन शिक्षण को संयोजित करने वाले हाइब्रिड मॉडल या समय-श्रृंखला बायोमेट्रिक डेटा के लिए विज़ुअलाइज़ेशन तकनीकों का उपयोग, आदि।
हिन्दुस्थान समाचार / विद्याकांत मिश्र