प्रियंका सौरभ
भारत के शिक्षा तंत्र में दशकों से एक अदृश्य रेखा बनी रही है। वह है आगे की बेंच और पीछे की बेंच। जहां आगे की बेंच पर बैठने वाले छात्र अकसर मेधावी माने जाते हैं, वहीं पीछे की बेंच को उपेक्षा और उपहास का प्रतीक समझा जाता है। लेकिन केरल के
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