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नई दिल्ली, 15 जुलाई (हि.स.)। फिल्म `उदयपुर फाइल्स' की रिलीज पर रोक की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट 16 जुलाई को सुनवाई करेगा। मंगलवार काे कन्हैलाल मर्डर केस के आरोपित मोहम्मद जावेद की ओर से जस्टिस सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली बेंच के समक्ष इस फिल्म की रिलीज पर रोक की मांग की गई।
जावेद की वकील मेनका गुरुस्वामी ने कहा कि अगर ये फिल्म रिलीज होती है तो इस मामले के निष्पक्ष ट्रायल पर असर पड़ेगा। कोर्ट ने कहा कि इस फिल्म से संबंधित एक और याचिका पर 16 जुलाई को सुनवाई चल रही है। कोर्ट ने कहा कि इस याचिका की दूसरी याचिका के साथ सुनवाई की जाएगी या नहीं, ये नहीं कह सकते लेकिन 16 जुलाई को सुनवाई होगी।
14 जुलाई को वकील गौरव भाटिया ने जस्टिस सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली बेंच के मामले की जल्द सुनवाई की मांग की थी, तब सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर जल्द सुनवाई का भरोसा दिया। गौरव भाटिया ने दिल्ली हाई कोर्ट की ओर से फिल्म को रिलीज करने पर अंतरिम रोक लगाने के फैसले को चुनौती दी है।
10 जुलाई को दिल्ली हाई कोर्ट ने फिल्म ‘उदयपुर फाइल्स’ को रिलीज करने पर अंतरिम रोक लगाई थी। चीफ जस्टिस डीके उपाध्याय की अध्यक्षता वाली बेंच ने याचिकाकर्ता को निर्देश दिया था कि वो फिल्म को लेकर केंद्र सरकार के समक्ष 14 जुलाई तक अपनी आपत्ति दर्ज कराएं। कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि याचिकाकर्ता की आपत्ति मिलने के बाद उस पर एक हफ्ते में फैसला करें। हाई कोर्ट ने कहा था कि केंद्र सरकार का फैसला आने तक फिल्म की रिलीज पर अंतरिम रोक जारी रहेगी।
हाई कोर्ट में इस मामले की सुनवाई के दौरान सेंसर बोर्ड ने कहा था कि उसने फिल्म ‘उदयपुर फाइल्स’ के आपत्तिजनक हिस्से को हटा दिया है। सेंसर बोर्ड की इस सूचना के बाद हाई कोर्ट ने फिल्म और उसके ट्रेलर की याचिकाकर्ता और सेंसर बोर्ड के वकीलों के लिए स्पेशल स्क्रीनिंग करने का आदेश दिया। मंगलवार काे सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि ये फिल्म पूरी तरह से आपत्तिजनक है और एक समुदाय विशेष को टारगेट किया गया है।
हाई कोर्ट में याचिका जमीयत-उलेमा-ए-हिंद ने दायर की थी। जमीयत की ओर से वकील फुजैल अहमद अययुबी ने याचिका दायर कर आरोप लगाया था कि फिल्म के ट्रेलर में पैगम्बर मोहम्मद और उनकी पत्नियों के खिलाफ अशोभनीय टिप्पणी की गई है। फिल्म के ट्रेलर में नुपुर शर्मा का विवादित बयान भी शामिल है। याचिका में जमीयत ने आरोप लगाया था कि फिल्म के ट्रेलर में पैगम्बर मोहम्मद और उनकी पत्नियों के बारे में की गई आपत्तिजनक टिप्पणी देश के अमन-चैन को बिगाड़ सकती है। फिल्म में देवबंद को कट्टरवाद का अड्डा बताया गया है और वहां के उलेमा के विरुद्ध जहर उगला गया है।
याचिका में केंद्र सरकार, सेंसर बोर्ड, जॉनी फायर फॉक्स मीडिया प्राइवेट लिमिटेड और एक्स कॉर्प्स को पक्षकार बनाया गया है, जो फिल्म के निर्माण और वितरण से जुड़े हैं। याचिका में कहा गया था कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार का दुरुपयोग करते हुए फिल्म में ऐसे दृश्य दिखाए गए हैं जिनका इस्लाम, मुसलमानों और देवबंद से कोई लेना-देना नहीं है।
फिल्म का 2 मिनट 53 सेकंड का ट्रेलर जारी किया गया था। फिल्म में 2022 में उदयपुर में हुई एक घटना को आधार बनाया गया है। याचिका में कहा गया था कि ट्रेलर से ही स्पष्ट हो जाता है कि फिल्म का मकसद एक विशेष धार्मिक समुदाय को नकारात्मक और पक्षपाती रूप में पेश करना है, जो उस समुदाय के लोगों के सम्मान के साथ जीने के मौलिक अधिकारों का सीधा उल्लंघन है।
हिन्दुस्थान समाचार/संजय
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हिन्दुस्थान समाचार / अमरेश द्विवेदी