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नई दिल्ली, 15 जुलाई (हि.स)। केंद्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने मंगलवार को कहा कि शिक्षा भारत की विकास यात्रा के केंद्र में बनी रहनी चाहिए। पुरी ने ‘भारत में स्कूली शिक्षा: सभी के लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक समान पहुंच’’ विषय पर सामाजिक विकास परिषद के द्वारा यहां आयोजित संगोष्ठी में यह बात कही।
पुरी ने जोर देकर कहा कि शिक्षा राष्ट्र की प्रगति के लिए बुनियादी आधार है। आज की 4 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था से 2047 तक 35 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने का भारत का सफर सार्वभौमिक, उच्चगुणवत्ता और समावेशी शिक्षा के माध्यम से ज़िम्मेदार और उत्पादक नागरिकों की एक पीढ़ी के पोषण पर निर्भर करता है। शिक्षा के अधिकार की संवैधानिक गारंटी के बाद से साक्षरता, नामांकन और स्कूल के बुनियादी ढाँचे में उल्लेखनीय प्रगति हुई है।
केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री ने कहा कि 2002 में वाजपेयी सरकार के दौरान 86वें संविधान संशोधन अधिनियम के जरिए शिक्षा के अधिकार की संवैधानिक नींव डाली गई थी, जिसने अनुच्छेद 21-ए के तहत इसे मौलिक अधिकार बनाकर 6-14 वर्ष की आयु के बच्चों के लिए निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा की गारंटी दी। इस निर्णायक कदम ने प्राथमिक शिक्षा को एक नीति निर्देशक सिद्धांत से एक प्रवर्तनीय अधिकार में बदल दिया, जिसके परिणामस्वरूप 2009 में आरटीई अधिनियम पारित हुआ।
पुरी ने कहा कि इस ऐतिहासिक सुधार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में 2014 के बाद और सशक्त किया गया, जब इसे प्राथमिकता देते हुए अनेक प्रमुख कार्यक्रमों के माध्यम से लागू किया गया। उन्होंने बताया कि युवा साक्षरता दर लगभग 97 फीसदी तक पहुंच गई है, लैंगिक साक्षरता अंतर में उल्लेखनीय कमी आई है, जिसे ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ और ‘स्वच्छ भारत अभियान’ जैसे प्रयासों से बल मिला है। वहीं, प्राथमिक स्तर पर नामांकन दर 84 फीसदी से बढ़कर 96 प्रतिशत हो गई है और उच्च प्राथमिक स्तर पर नामांकन 62 फीसदी से बढ़कर 90 प्रतिशत हो गयी है।
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हिन्दुस्थान समाचार / प्रजेश शंकर