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डूंगरपुर, 15 जुलाई (हि.स.)। देश के आदिवासी समुदाय से जुड़े ज्वलंत मुद्दों एवं भारत के चार पश्चिमी राज्य के सीमाई इलाकों को जोड़कर अलग भील प्रदेश राज्य के गठन की मांग को लेकर भील प्रदेश मुक्ति मोर्चा के बैनर तले मंगलवार को जिला मुख्यालय सहित जिले के सभी ब्लॉकों में महामहिम राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, गृहमंत्री और राज्यपाल के नाम ज्ञापन सौंपा गया।
भील प्रदेश मुक्ति मोर्चा के प्रदेश प्रचारक मुकेश कलासुआ के नेतृत्व में जिला मुख्यालय पर बीपीएमएम कार्यकर्ता एकत्रित हुए तथा अलग भील प्रदेश गठन की मांग को लेकर महामहिम राष्ट्रपति के नाम अतिरिक्त जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा गया। वहीं, जिले के समस्त 16 ब्लॉकों में भी बीपीएमएम के बैनर तले ज्ञापन सौंपे गए। ज्ञापन में बताया कि भारतीय उपमहाद्वीप में बीस लाख साल पूर्व से निवास कर रहे आखेटक-खाध्य संग्राहक मानव समूह के वंशज आदिवासी हैं, जिनकी संस्कृति, सभ्यता और पहचान को सुरक्षित रखने के लिए पृथक राज्य की आवश्यकता है। देश के पुरातात्विक स्थल विद्यांचल, सातपुडा, अरावली पर्वतमाला के बेलन नदी घाटी, भीमबेटका एवं साबरमती इलाके में रहने वाले परंपरागत मानव समूह आदिवासी भील है। भारत की इस मूल संस्कृति एवं मानव समूह के संरक्षण के लिए इस संपूर्ण इलाके को जोड़कर भील प्रदेश राज्य गठन की आवश्यकता है। पश्चिमी भारत के इस इलाके में ईरानी, यूनानी, पार्थियन, शक, कुषाण, हूण, अरब, तुर्क, मुगल, विदेशियों के वंशज भी आकर बसे। भारत की मूल संस्कृति, सभ्यता, बोली, धर्म के अस्तित्व की रक्षार्थ भील सांस्कृतिक भाषाई, ऐतिहासिक क्षेत्र को जोड़कर भील प्रदेश राज्य का गठन होना चाहिए, मगर आजादी के बाद से भी इस ओर किसी ने कोई पहल नहीं की, जिसके बाद आदिवासी समाज की विभिन्न सामाजिक इकाइयों, संगठनों एवं राजनीतिक दलों द्वारा राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश की विधानसभाओं को जोड़कर नए भील प्रदेश का प्रस्ताव केंद्र सरकार को भिजवाया गया है।
ज्ञापन में बताया कि भील आदिवासियों के मान सम्मान, स्वाभिमान, न्याय की सुरक्षार्थ भीली अस्मिता संरक्षणार्थ राजनीति से परे, धर्म से परे सोचते हुए पूरी मानव प्रजाति सहित जीव जगत, सृष्टि, प्रकृति की सुरक्षार्थ भील एवं आदिवासियों के उपसमूह के जीवन मूल्य, भीली पुरखाई पूजा पद्धति, भीली संस्कृति, भीली समाज व्यवस्था का संरक्षण और नॉन ट्राइबल सांस्कृतिक, धार्मिक, राजनीतिक अतिक्रमण से बचाने के लिए अलग भील प्रदेश राज्य बनाने की मांग की गई तथा आदिवासी भील समाज की भावनाओं, पुरखों के जीवन मूल्य, मानव प्रजाति सहित जीव जगत की सुरक्षार्थ भील प्रदेश राज्य बनाने की संवैधानिक, लोकतांत्रिक प्रक्रिया, संविधान एवं लोकतंत्र सम्मत शुरू कराने की मांग की गई। वक्ताओं ने कहा कि इन चारों राज्यों की विधानसभाओं में इस आशय का प्रस्ताव पारित कर केंद्र सरकार को भेजा जाना चाहिए, ताकि आदिवासी समाज को उसकी पहचान और अधिकार सुनिश्चित हो सकें।
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हिन्दुस्थान समाचार / संतोष