एससी एसटी मामले में तीन दोषियों को सजा, पीड़ित परिवार को सुरक्षा देने का आदेश
अररिया, 15 जुलाई(हि.स.)। अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश प्रथम मनोज कुमार तिवारी की अदालत ने विशेष एससी एसटी वाद में तीन दोषियों को सजा सुनाई । न्यायालय ने विशेष एससी एसटी वाद संख्या 19/2021 में सजा सुनाई। मामला अररिया एससी एसटी थाना कांड संख्या 08/2021
अररिया फोटो:अररिया सिविल कोर्ट


अररिया, 15 जुलाई(हि.स.)।

अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश प्रथम मनोज कुमार तिवारी की अदालत ने विशेष एससी एसटी वाद में तीन दोषियों को सजा सुनाई । न्यायालय ने विशेष एससी एसटी वाद संख्या 19/2021 में सजा सुनाई। मामला अररिया एससी एसटी थाना कांड संख्या 08/2021 से सबंधित हैं । सजा पाए जाने वाले दोषियों में रानीगंज थाना क्षेत्र के धामा वार्ड संख्या 10 मो. असरफ,मो. असलम, पिता स्वर्गीय मो. कमरुद्दीन और बीबी मुर्शीदा पति मो. मिरशाद है।

न्यायालय ने भादवि की धारा 341 में एक महीने, धारा 323 एवं 3(2) एससी एसटी में एक वर्ष और 10 हजार रुपये जुर्माना,धारा 448 में तीन महीना पांच सौ रुपये धारा 504 एवं 3 (1) (आर) एससी एसटी में एक वर्ष के साथ साथ दो हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई ।

साथ ही साथ न्यायालय ने अपने निर्णय में इस बात का भी उल्लेख किया कि सूचक चन्द्र भूषण पासवान और उसकी पत्नी को दंड प्रकिया संहिता की धारा 357 एवं बिहार पीड़ित प्रतिकर अधिनियम के उपबंधों के अंतर्गत पीड़ित को प्रतिकर प्रदान करने हेतु निर्णय की एक प्रति जिला विधिक सेवा प्राधिकार के सचिव के साथ डीएम एसपी को भेजे जाने का आदेश जारी किया।जिसमें निर्देशित किया कि सर्वोच्च न्यायालय में शक्ति वाहिनी बनाम भारत संघ 2018 के निर्देश के आलोक में पीड़ित को सम्पूर्ण रूप से भविष्य में अभियुक्त गण द्वारा किसी भी प्रकार की धमकी या उत्पीड़न से बचाने के लिए प्रत्येक प्रकार की सुरक्षा मुहैया करवाने के निर्देश दिए।

केस रानीगंज धामा एड संख्या दस के चन्द्रभूषण पासवान पिता जागेश्वर पासवान हैं।दर्ज कराई गई प्राथमिकी में बताया था कि दोषियों ने नाजायज मजमा बनाकर आंगन में घुसकर सूचक चन्द्रभूषण पासवान की पत्नी मीरा देवी को दुसाध जाति सूचक गाली गलौज देकर, जमीन खाली करने की बात कही और उसके साथ मारपीट कर, उसका बाल खींच कर घसीट दिया।मामला बासगीत पर्चा के संबंध में जमीनी विवाद को लेकर मुकदमा दर्ज कराया गया था ।

बचाव पक्ष के अधिवक्ता धर्मानंद चौधरी ने न्यायालय से कम से कम उम्र का हवाला देते हुए कम से कम सजा सुनाए जाने की गुहार लगाई। जबकि सरकार के ओर से विशेष लोक अभियोजक एससी एसटी कलानंद पासवान ने न्यायालय से विधि सम्मत सजा सुनाई जाने की दलीले दी।जिस पर न्यायालय ने भादवि एवं एससी एसटी अंतर्गत सजा सुनाई।

हिन्दुस्थान समाचार / राहुल कुमार ठाकुर