उलझता जा रहा आईआईएम जोका मामला, पुलिस की रिपोर्ट से गहराया भ्रम
कोलकाता, 13 जुलाई (हि.स)। आईआईएम कोलकाता (जोका) के बॉयज हॉस्टल में महिला मनोवैज्ञानिक के साथ कथित दुष्कर्म के मामले ने अब नया मोड़ ले लिया है। पुलिस की प्रारंभिक जांच रिपोर्ट में विरोधाभासी जानकारियों के कारण पूरे मामले को लेकर भ्रम की स्थिति बन गई
आईआईएम जोका का दुष्कर्म केस बनता जा रहा है गुत्थी


कोलकाता, 13 जुलाई (हि.स)।

आईआईएम कोलकाता (जोका) के बॉयज हॉस्टल में महिला मनोवैज्ञानिक के साथ कथित दुष्कर्म के मामले ने अब नया मोड़ ले लिया है। पुलिस की प्रारंभिक जांच रिपोर्ट में विरोधाभासी जानकारियों के कारण पूरे मामले को लेकर भ्रम की स्थिति बन गई है।

पुलिस द्वारा अदालत में दाखिल रिपोर्ट के अनुसार, एक जगह यह कहा गया है कि आरोपित छात्र ने पीड़िता को फोन कर मानसिक परामर्श (साइकोलॉजिकल काउंसलिंग) के बहाने हॉस्टल बुलाया था लेकिन रिपोर्ट के एक अन्य हिस्से में यह भी उल्लेख है कि आरोपित ने खुद को ही साइकोलॉजिकल काउंसलर बताकर सोशल मीडिया के माध्यम से युवती से संपर्क किया था।

इस विरोधाभास के चलते सवाल उठ रहे हैं कि असल में मनोवैज्ञानिक कौन है और किसने किसे काउंसलिंग के लिए बुलाया था?

पीड़िता का दावा है कि उसे बेहोश कर दुष्कर्म किया गया और उसके बाद बाल पकड़कर मारपीट की गई। आरोपित आईआईएम में दूसरे वर्ष का एमबीए छात्र है, जिसकी उम्र करीब 26 वर्ष बताई जा रही है और वह कर्नाटक का निवासी है।

हालांकि, घटना के महज 12 घंटे के भीतर पीड़िता के पिता ने बयान दिया कि ऐसी कोई घटना नहीं घटी, बल्कि उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि पुलिस ने उनकी बेटी से जबरन शिकायत दर्ज कराई है।

अलीपुर अदालत में दाखिल रिपोर्ट के अनुसार, 11 जुलाई को सुबह 11:45 बजे से शाम 8:35 बजे के बीच यह घटना घटी। रिपोर्ट में कहा गया है कि पीड़िता काउंसलिंग के लिए वहां पहुंची थीं, जहां खाने-पीने के बाद बेहोश हो गईं और फिर उसके साथ दुष्कर्म हुआ।

घटना के चार घंटे बाद ही, रात 12:15 बजे आरोपित को लेक व्यू हॉस्टल के कमरा नंबर 151 से गिरफ्तार कर लिया गया। पुलिस का कहना है कि पूछताछ और बयान रिकॉर्ड करने के बाद ही गिरफ्तारी की गई।

पुलिस रिपोर्ट में जहां आरोपित को काउंसलर बताया गया है, वहीं आरोपित के वकील सुब्रत सरदार ने अदालत में दावा किया कि वास्तविक काउंसलर पीड़िता ही थीं, जो आरोपित को मानसिक परामर्श देने आई थीं। उन्होंने रिपोर्ट में मौजूद दो तरह की कहानियों पर भी सवाल उठाया और कहा कि “कई बातें स्पष्ट नहीं हैं और भ्रम की स्थिति बनी हुई है।”

पूरे मामले को लेकर लालबाजार पुलिस मुख्यालय की ओर से अब तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, जिससे संदेह और गहराता जा रहा है।

आईआईएम जोका का यह मामला अब केवल एक आपराधिक घटना नहीं, बल्कि पुलिस की रिपोर्टिग और जांच की पारदर्शिता पर भी सवाल खड़े कर रहा है। असली मनोवैज्ञानिक कौन था? किसके कहने पर पीड़िता हॉस्टल गई? क्या यह एक साजिश थी या गलतफहमी?—इन तमाम सवालों के जवाब मिलना अभी बाकी है।

हिन्दुस्थान समाचार / अनिता राय