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बरेली, 12 जुलाई (हि.स.) । जिला पंचायत की बागडोर संभालते ही रश्मि पटेल ने साबित कर दिया कि अगर इरादे नेक हों तो बदलाव ज़मीन पर दिखने लगते हैं। बीते चार साल में जिले के गांवों की तस्वीर कुछ ऐसी बदली कि टूटी सड़कों, गंदगी और अंधेरे की जगह अब पक्की सड़कें, पौधे और स्मार्ट क्लास रौशनियां बिखेर रही हैं।
चार वर्षों के कार्यकाल में जिला पंचायत ने 450 खड़ंजा सड़कों के जरिए 326 किलोमीटर लंबा मजबूत नेटवर्क तैयार किया। 145 किलोमीटर की डामर सड़कें बनाकर विकास को गति दी। फरीदपुर के किसान विजयपाल सिंह कहते हैं कि पहले गांव में ना सड़क थी, ना नाली। लेकिन अब सब ठीक हाे रहा हैं। बच्चों को स्कूल में किताबें भी मिलती हैं और साफ पानी भी। बदलाव हमने अपनी आंखों से देखा है।
बुनियादी ढांचे को मज़बूती देने के लिए 125 लेपन सड़कें तैयार की गईं, जिससे किसानों को खेत से मंडी तक पहुंचने में आसानी हुई। 450 खड़ंजा सड़कों ने हर मौसम में गांवों को जोड़ा और 450 नालों ने जलभराव की पुरानी परेशानी को काफी हद तक खत्म किया।
मानचित्र बायलॉज 2023 के तहत पारदर्शी कर प्रणाली ने पंचायत को 1.77 करोड़ रुपये की अतिरिक्त आय दी। हर निर्माण कार्य की शुरुआत पौधरोपण से की गई, जिससे हज़ारों पौधे लगाकर पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा मिला। अमृत सरोवर योजना के तहत पुराने तालाबों का कायाकल्प किया गया, किनारों पर छायादार वृक्ष लगाए गए और हरित बरेली मॉडल की नींव रखी गई।
जिला पंचायत के आठ स्कूलों में स्मार्ट क्लास और पुस्तकालय की व्यवस्था की गई। बच्चों को बेहतर सुविधाएं दी गईं। ‘गुरु अभिनंदन समारोह’ के ज़रिए शिक्षकों को सम्मान देकर समाज में उनका मान बढ़ाया गया। महिलाओं को स्वच्छता और पर्यावरण अभियानों से जोड़कर हर गांव में जागरूकता की अलख जगाई गई। स्वावलंबन की ओर बढ़ते इन कदमों ने गांवों को आत्मनिर्भर बनाने में अहम भूमिका निभाई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की योजनाओं को ज़मीनी हकीकत में बदलकर रश्मि पटेल ने साबित कर दिया कि विकास सिर्फ सरकारी घोषणा नहीं, एक संवेदनशील सोच का परिणाम है। उनका कार्यकाल पंचायत व्यवस्था के लिए एक मिसाल बन गया है।
हिन्दुस्थान समाचार / देश दीपक गंगवार