हार के डर से सभी संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन कर रही है भाजपा सरकार- गहलोत
जयपुर, 12 जुलाई (हि.स.)। पूर्व मुख्‍यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रदेश में पंचायतीराज और नगरीय निकाय चुनाव समय पर नहीं कराए जाने पर भारतीय जनता पार्टी सरकार पर आरोप लगाया कि राजस्थान की भाजपा सरकार हार के डर से सभी संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन कर रही है
हार के डर से सभी संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन कर रही है भाजपा सरकार- गहलोत


जयपुर, 12 जुलाई (हि.स.)। पूर्व मुख्‍यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रदेश में पंचायतीराज और नगरीय निकाय चुनाव समय पर नहीं कराए जाने पर भारतीय जनता पार्टी सरकार पर आरोप लगाया कि राजस्थान की भाजपा सरकार हार के डर से सभी संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन कर रही है।

गहलोत ने श‍निवार को सोशल मीडिया प्‍लेटफार्म एक्‍स पर पोस्‍ट किया कि डेढ़ साल बनाम पांच साल की बात करने वाली भाजपा सरकार की ऐसी दुर्गति हो रही है कि वह पंचायतीराज और नगरीय निकायों के चुनाव तक नहीं करवा पा रही।

उन्‍होंने कहा, संविधान के अनुच्छेद 243-ई में स्पष्ट लिखा है कि पंचायतीराज के चुनाव हर पांच वर्ष में करवाए जाएंगे। इसी तरह, गोवा सरकार बनाम फौजिया इम्तियाज़ शेख तथा अन्य केस व पंजाब राज्य निर्वाचन आयोग बनाम पंजाब सरकार केस के फैसलों में सुप्रीम कोर्ट का आदेश है हर पांच साल में पंचायतीराज के चुनाव करवाए जाएं, लेकिन राजस्थान की भाजपा सरकार हार के डर से सभी संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन कर रही है।

इस संबंध में प्रदेश कांग्रेस अध्‍यक्ष गोविन्‍द सिंह डोटासरा ने भी पोस्‍ट किया कि राजस्थान में गंभीर संवैधानिक संकट की स्थिति बनी रही है। संवैधानिक प्रावधानों की धज्जियां उड़ाकर पंचायत एवं निकाय चुनाव टाल रही भाजपा सरकार की मंशा पर राज्य निर्वाचन आयोग ने भी गंभीर सवाल खड़े किए हैं।

उन्‍होंने कहा, स्वयं राज्य निर्वाचन आयुक्त मधुकर गुप्ता स्वीकार कर रहे हैं कि यह सरकार चुनाव नहीं कराना चाहती। आयुक्त के इस बयान स्पष्ट है कि भाजपा का लोकतंत्र में विश्वास नहीं है, और वो खुलेआम इस व्यवस्था की अवहेलना कर रही है।

डोटासरा ने कहा कि भाजपा सरकार ने स्थानीय स्वशासन का गला घोंटने के लिए 'एक राज्य, एक चुनाव' की आड़ ली और फिर पंचायत और निकायों के पुनर्गठन व परिसीमन का हवाला देकर चुनाव टाले। परिसीमन प्रक्रिया की तारीखों में बार-बार संशोधन किया और आखिर में नगरीय निकाय में आपत्तियों के निस्तारण व प्रस्तावों के अनुमोदन की अंतिम तारीख 22 मई, 2025 तय की। लेकिन भाजपा सरकार की नीयत में खोट देखिए, 2 महीने बीतने को है लेकिन अब तक न परिसीमन का काम पूरा हुआ, न चुनाव की तारीख तय हुई और न ही चुनावी प्रक्रिया प्रारंभ हुई। इसलिए स्वयं निर्वाचन आयोग सार्वजनिक मंच से यह मान रहे हैं कि राज्य सरकार चुनाव टाल रही है। सरकार जानबूझकर अपने ही बनाए गए मापदंडों व नियमों के विरुद्ध परिसीमन का कार्य कर रही है, जिसकी वजह से परेशान जनता को मजबूरन कोर्ट में जाना पड़ रहा है। कोर्ट में सरकार जवाव देने से बच रही है, जिससे कारण मामले लंबित व अधिक समय तक खिंच रहे हैं। नतीजतन भाजपा सरकार को चुनाव नहीं कराने पड़े।

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हिन्दुस्थान समाचार / पारीक